बेसहारों का सहारा

बेसहारों का सहारा

भाइयो और बहनों, लोगों के जुटते ही श्याम बाबू माइक संभालते हुऐ बोले: जैसा कि आप जानते हैं कि इस समय ठंड अपने चरम पर है, हमारे शहर में तमाम निर्धन बेसहारा लोग ऐसे हैं जिनके पास ठंड से बचने को ढंग के कपड़े भी नहीं हैं, हमने निर्णय किया है कि संस्था की ओर से ऐसे लोगों को स्वेटर और कंबल वितरित किये जायेंI

श्याम बाबू शहर की संस्था 'बेसहारों का सहारा ' के संस्थापक अध्यक्ष थे, आज उनके आह्वान पर संस्था की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी I 

सभी लोगों की सहमति के बाद चंदा जुटाया गया और  बजट बनाया गया I

घनश्याम जी ने कहा कंबल की खरीद मैं करवा दूंगा, मेरा एक कंबल बनाने वाली फैक्टरी के मालिक से परिचय है, वहाँ से बढ़िया कंबल मुनासिब दाम में मिल जायेंगे.

अरे घनश्याम जी, उनकी बात काटते हुए श्याम बाबू बोले : कंबल तो कंबल ही होता है, बढ़िया के चक्कर में न पड़ें, बाजार से सस्ते कंबल खरीद लीजिए; आखिर पंडाल , साउंड सिस्टम, कैटरिंग का इंतजाम भी करना है, अतिथियों का सम्मान भी करना है, स्मृति चिन्ह भी देना है, मीडिया व प्रशासनिक अधिकारियों को बुला रहे हैं तो उसी के अनुसार सारी व्यवस्था करनी होगी, इसमें कोई कोताही नहीं होनी चाहिए I

इसके बजट से जो धनराशि बचे उससे कंबल व स्वेटर आदि खरीद लें İ

घनश्याम बाबू अवाक् से श्याम बाबू की ओर देखते रह गये और सस्ते कंबल खरीदने निकल गये I

श्रीकृष्ण शुक्ल,  

MMIG - 69,

रामगंगा विहार, 

मुरादाबाद I

Comments

Popular posts from this blog

आठ फरवरी को किसकी होगी दिल्ली।

ओस की बूँदें : सामाजिक परिवेश पर एक शानदार हाइकू संग्रह I

होली पर मुंह काला कर दिया