आठ फरवरी को किसकी होगी दिल्ली।

 


दिल्ली में चुनाव की तारीख जैसे जैसे पास आती जा रही है वैसे वैसे आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार मर्यादा की सारी सीमाएं लांघता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रोज एक नया झूठा जुमला उछाल देते हैं। वस्तुतः केजरीवाल को भी अहसास हो गया है कि इस बार उनकी पार्टी की जीत आसान नहीं है, यही कारण है कि वह निरंतर वोटर्स को डराने का उपक्रम कर रहे हैं, जैसे कि अगर भाजपा की सरकार आई तो उनकी जिंदगी मुश्किल हो जायेगी। मुफ्त की बिजली पानी बंद हो जायेगी, मुहल्ला क्लीनिक बंद हो जायेंगी, मुफ्त की जो सुविधाएं मिल रही हैं वह सब भाजपा सरकार बंद कर देगी। 

सबसे बड़ा और अविश्वसनीय झूठ तो उन्होंने ये बोला कि हरियाणा में भाजपा सरकार ने यमुना के पानी में जहर मिला दिया और वह ऐसा जहरीला पानी था जो ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं निकाला जा सकता‌ था, इसलिए हमने उस पानी को दिल्ली में आने से रोक लिया। यदि ये पानी दिल्ली में घरों तक पहुंच जाता तो जेनोसाइड (नरसंहार) हो जाता। केजरीवाल का यह बयान खुद उनको ही उपहास का पात्र बना रहा है। यमुना इतनी बड़ी नदी है, क्या उसके पानी को जहरीला बनाया जा सकता है। फिर केजरीवाल को कैसे पता चला कि पानी में जहर मिलाया गया है, दूसरी बात यह कि उन्होंने यमुना के पानी को दिल्ली में आने से कैसे रोका और यदि डाइवर्ट किया तो कहॉं भेजा। ये सारे सवाल अब चुनाव आयोग उनसे पूछ रहा है। 

उधर भाजपा की ओर से स्वयं मोदी जी ने इस बार मोर्चा संभाला है। साथ ही योगी आदित्यनाथ जी ने भी दिल्ली में ताबड़तोड़ रैलियां करके केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ाई है। इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह भी केजरीवाल के झूठ को जनता के सामने उजागर कर रहे हैं। 

यहीं नहीं, केजरीवाल ने इंडी गठबंधन से अलग होकर दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय किया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस को अलग थलग करने की भूमिका भी निभाई जिस कारण इंडी गठबंधन के अन्य घटक दल भी दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी का समर्थन करने लगे। दिल्ली में अखिलेश यादव ने भी केजरीवाल के साथ रोड शो किया है।

यही कारण है कि अब दिल्ली चुनावों में राहुल गांधी भी खुलकर केजरीवाल की आलोचना पर उतर आये है। राहुल गाॅंधी चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी कमजोर हो, क्योंकि जब आम आदमी पार्टी कमजोर होगी तभी दिल्ली में कांग्रेस थोड़ी-बहुत सफलता प्राप्त कर सकती है। 

यह भी निश्चित है कि कांग्रेस जितने भी वोट काटेगी, आम आदमी पार्टी के ही काटेगी। कांग्रेस भी दिल्ली के मुस्लिम व सिख वोटर्स को रिझाने का प्रयत्न कर रही हैं। उधर असदुद्दीन ओवैसी भी कुछ सीटों पर चुनाव लड़ा रहे हैं। उनकी पार्टी भी आम आदमी पार्टी के वोट ही काटेगी।

उधर शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के तमाम नेताओं की लिप्तता व जेल जाने से भी पार्टी की ईमानदारी वाली छवि समाप्त हो गई है। 

साथ ही महिलाओं के लिये नगद धनराशि देने की घोषणा केजरीवाल आज तक पूरी नहीं कर पाये, यमुना आज तक साफ नहीं कर पाये। मुफ्त बिजली का लाभ भी किराये के मकान में रहनेवाले तमाम परिवारों को नहीं मिल रहा। तमाम इलाकों में पानी की समस्या भी बनी रहती है। गर्मी के दिनों में टैंकर से पानी सप्लाई की जाती है, जो अपर्याप्त होती है, उल्टे टैंकर माफिया सक्रिय हो जाते हैं।

इन सब कारणों की वजह से पार्टी को एंटी इन्कंबेंसी का भी सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं सब बातों के कारण केजरीवाल येन केन प्रकारेण दिल्ली के वोटर्स को अपने पक्ष में बनाये रखने के लिये लुभा रहे हैं, साथ ही भाजपा के आने पर दिल्ली वालों को डर भी दिखा रहे हैं। सनातन धर्म के कुछ संतों को साथ लेकर और हिन्दू पुजारियों को वेतन देने का वादा करके हिंदुत्व के हिमायती होने का दिखावा भी कर रहे हैं। यह दीगर बात है कि वह मस्जिद के मुल्लाओं को भी वेतन नहीं दे पा रहे हैं।

इन सब बातों से स्पष्ट है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जमीन पूरी तरह से हिली हुई है।

चुनाव प्रचार का आज आखिरी दिन है। आज शाम को चुनाव प्रचार थम जायेगा। केजरीवाल आज भी झूठ की पैंतरेबाजी से बाज नहीं आ रहे हैं। आज वह भाजपा पर वोटरों को डराने, धमकाने का आरोप लगा रहे हैं। 

उधर भाजपा ने भी अप्रत्याशित रूप से मध्यम व निम्न आय वर्ग के लोगों के हितार्थ बजट पेश किया है। सबसे बड़ी घोषणा तो टैक्स फ्री आय की सीमा बढ़ाकर 12 लाख करना है।इसका सीधा फायदा मध्यम व निम्न वर्ग को पहुंचेगा।  इसके बाद मोदी जी ने चुनावी सभा में घोषणा कर दी कि कोई झुग्गी तोड़ी नहीं जायेगी और सब झुग्गी वालों को पक्का मकान देंगे। महिलाओं को 2500/- प्रतिमाह देंगे। इससे भाजपा के प्रति रूझान और बढ़ा है।

फिर भी इसका नाम चुनाव है। दिल्ली के वोटर्स का कुछ नहीं पता किसके बहकावे में आ जाये। निम्न वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग के वोटर्स पहले भी मुफ्त बिजली पानी के नाम पर केजरीवाल को जिता चुके हैं। यद्यपि इस बार ऐसे किसी करिश्मे की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन असली निर्णय तो वोटर्स को ही लेना है, जो वह पॉंच तारीख को ईवीएम का बटन दबाकर कर देंगे।

आने वाली आठ फरवरी आम आदमी पार्टी और केजरीवाल का भविष्य तय कर देगी। आठ फरवरी को ही पता चलेगा कि दिल्ली किसकी होगी।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

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