दादाजी के पोते
दादाजी के पोते
दादाजी के नाती पोते,
रोज इकट्ठे होते
दिन भर उछल कूद करते हैं,
और रात भर सोते
शोर शराबा हल्ला गुल्ला,
वो दिनभर करते हैं
दादाजी की डाट डपट को,
भाव नहीं देते हैं
छड़ी उठाते जब दादाजी,
तब जाकर चुप होते
दादा दादी ने मिलकर फिर,
रस्ता एक निकाला
लूडो, कैरम लाकर सबको,
शगल नया दे डाला
बच्चों में बच्चे बनकर फिर,
खेले दादा पोते
जानबूझ कर दादा दादी,
रोज हारते रहते
और जीत कर छोटू, चुन्नू,
उन्हें चिढ़ाया करते
बच्चों को खुश देख स्वयं दादा
दादी खुश होते!
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG -69,
रामगंगा विहार,
मुरादाबाद!
12.10.2021
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