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Showing posts from 2023

शाश्वत सत्य सनातन राम,

शाश्वत, सत्य, सनातन राम ---------------------------- शाश्वत, सत्य, सनातन राम —————————- शुभ मुहूर्त पावन सुख धाम, आयेंगे मंदिर में राम। सुंदर सदन सुमंगल धाम, प्राण प्रतिष्ठित होंगे राम। श्री राम जय राम जय जय राम। श्री राम जय राम जय जय राम। चतुर्दिशाओं की हलचल में, सरजू के जल की कल कल में, मंदिर मंदिर घाट घाट में, भक्तों के मन में प्रति पल में, गूँज रहा ये पावन नाम, श्री राम जय राम जय जय राम। —२ अवधपुरी की शोभा न्यारी, प्रमुदित हैं सारे नर नारी, पलक पाँवड़े बिछा कर रहे, स्वागत की अद्भुत तैयारी, जिनकी शोभा ललित ललाम, श्री राम जय राम जय जय राम। —2 घर घर में हिंदुत्व जगेगा, अनहद राम नाम गूॅंजेगा, अक्षत, रोली, चंदन के सॅंग, रामलला का रूप सजेगा, शाश्वत सत्य सनातन राम, श्री राम जय राम जय जय राम।—2 घर घर मंगल दीप जलेंगे, रंगोली से द्वार सजेंगे, भक्ति भाव से टेर लगाओ, राम ह्रदय में आन बसेंगे। श्वास श्वास बोले श्री राम। श्री राम जय राम जय जय राम। माया में अब मत उलझाना राम राज्य स्थापित करना असुर वृत्ति मन से मिट जाए, ऐसी कृपा सभी पर करना बसों ह्रदय में सबके राम श्री राम जय राम जय जय राम। मन मंदिर...

अँधेरा खुद ब खुद मिटने लगा है।

 अँधेरा खुद ब खुद मिटने लगा है। क्षितिज से सूर्य जो उगने लगा है। अँधेरा खुद ब खुद मिटने लगा है। सफर में साथ जो चलने लगा है। वो अपना सा मुझे लगने लगा है। किसी के प्यार के दो बोल सुनकर, ह्रदय में स्वप्न एक पलने लगा है। जरा सी शोहरत जो मिल गयी है जमाना हमसे अब जलने लगा है, अभावों में भी खुश रहना हमारा किसी को आज ये खलने लगा है। इन्हीं हाथों से जो सींचा था  हमने वृक्ष वह कृष्ण अब फलने लगा है। श्रीकृष्ण शुक्ल, T- 5 / 1103 , आकाश रेजीडेंसी, मधुबनी के पीछे, कांठ रोड, मुरादाबाद  ( उ.प्र .), भारतवर्ष। दिनांक 24.12.2023

मुरारी की चौपाल, आम आदमी की जिंदगी की विषमताओं को अभिव्यक्ति देती कविताओं का विलक्षण संग्रह। ।

मुरारी की चौपाल, आम आदमी की जिंदगी की विषमताओं को अभिव्यक्ति देती कविताओं का विलक्षण संग्रह। । अन्धेरी रातों और बेबुनियाद बातों के बीच, सिसक सिसक कर जी रही है, जिन्दगी हर इन्सान की, हर जीव की चिंता बस पेट भर रोटी की है,, ये पंक्तियां हैं संभल के निवासी लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री अतुल कुमार शर्मा के काव्य संग्रह 'मुरारी की चौपाल' में निहित कविता 'अंधेरे में तीर' की। ये पंक्तियां ही रचनाकार के अंतर्मन की संवेदनशीलता और उनके रचनाकर्म से परिचित कराने के लिये पर्याप्त हैं। उनका काव्य संग्रह 'मुरारी की चौपाल' मुझे पिछले माह ही प्राप्त हो गया था। यद्यपि काव्य संग्रह में सभी कविताएं अतुकांत शैली में हैं, फिर भी एक बार जब पढ़ना शुरु किया तो पूरा पढ़ने से स्वयं को रोक न पाया। सभी रचनाएं वर्तमान सामाजिक परिवेश में जीवन की विषमताओं, सामाजिक ताने बाने में मानवीय स्वभाव, आर्थिक असमानता के कारण उत्पन्न विषमताओं तथा हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों से संबंधित परिस्थितियों को प्रतीकों के माध्यम से  अभिव्यक्ति देती हैं, जिसमें दर्द भी है, विवशता भी है,खीज और आक्रो...

मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो

 मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो ---------------------------------------------- मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो। ज्ञानदान से मेरा तन, मन, अंतर निर्मल कर दो।  श्री गणेश सा बालक बनकर, तेरे दर पर आया।  ज्ञान आज तक जो भी पाया, माँ तुमसे ही पाया।  कर्मदायिनी शुभ कर्मों से मेरा अंतर भर दो।  मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।  मैं तो मैया द्वार तुम्हारे खाली हाथों आया, बुद्धि विवेक रहित था, केवल रीता घट ही लाया, अपनी करुणा ममता देकर रीते घट को भर दो मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।  जो आशीष तुम्हारा पाता, जीवन सफल बनाता।  लक्ष्मी का आशीष साथ में, सहज स्वतः पा जाता।  बुद्धि विवेक ज्ञान अरु कौशल से मन पूरित कर दो।  मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।  लक्ष्मी बन मम् ह्रदय विराजो, लक्ष्मी सम बन जाऊँ, बस दरिद्र नारायण की मैं, सेवा कर हर्षाऊँ, एक हाथ पाऊँ दूजे से दान वृत्ति तत्पर दो।  मात शारदे इस याचक को केवल ऐसा वर दो।     श्रीकृष्ण शुक्ल, MMIG - 69, रामगंगा विहार फेस 1, मुरादाबाद (उ.प्र.) मोबाइल: 9456641400...

भक्ति रस की हाला का पान कराने वाली कृति मधुशाला हाला प्याला।

  भक्ति रस की हाला का पान कराने वाली कृति मधुशाला हाला प्याला। ---------------------------------------------------------------------------- मधुशाला हाला प्याला, इस काव्य संग्रह का नाम पढ़ते ही आदरणीय हरिवंश राय बच्चन जी की कृति मधुशाला की याद आ गयी और यही लगा कि बच्चन जी की मधुशाला की तरह ही इसमें भी मधुशाला के विभिन्न आयामों का चित्रण होगा।  इसी उत्सुकतावश पुस्तक खोलकर पढ़ना शुरु कर दिया। किन्तु शुरुआत में ही स्पष्ट हो गया कि यह तो आध्यात्मिक रस की हाला है और इससे अपना प्याला भरना जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने में सहायक हो सकता है। आदरणीय जितेंद्र कमल आनंद जी का सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह मधुशाला हाला प्याला  उन्हीं के शब्दों में  एक अनुपम कृति है, जो आध्यात्मिक संचेतना और नैतिकता के भाव जगाने में सक्षम है। संपूर्ण काव्य ताटंक , लावणी व शोकहर छंद में रचित है, ओर गेयता में आनंद का अनुभव कराने में सक्षम है। भाषा सरल, प्रतीकात्मक और सुग्राह्य है। काव्य संग्रह में निहित आध्यात्मिक काव्यात्मक कथ्य और संग्रह के नाम के संदर्भ में श्री आनंद जी स्वयं कहते हैं: काव्यात्मक ...

जितेंद्र कमल आनंद: हिंदी कविता को समर्पित व्यक्तित्व

  जितेंद्र कमल आनंद: हिंदी कविता को समर्पित व्यक्तित्व हिन्दी कविता के क्षेत्र में यद्यपि नगर नगर मैं तमाम कवियों ने अनेकों संस्थाएं बना रखी हैं जो हिन्दी के प्रचार प्रसार के लिये काम करने का दावा कर रही हैं, लेकिन इन्हीं संस्थाओं में एक संस्था है अखिल भारतीय काव्यधारा, रामपुर, जिसके संस्थापक रामपुर के लब्धप्रतिष्ठित कवि आदरणीय जितेंद्र बहादुर सक्सेना, अर्थात जितेंद्र कमल आनंद जी हैं।  वस्तुतः आनंद जी स्वयं में एक संस्था हैं, जो निस्पृह भाव से बिल्कुल नये नवांकुर व उदीयमान कवियों व कवियित्रियों को अपनी संस्था से जोड़कर उन्हें निखारने व सँवारने का कार्य करते हैं। अपनी संस्था के व्हाट्सएप ग्रुप्स के माध्यम से रचनाकारों को विभिन्न छंदों के विधान का प्रशिक्षण देते हैं, गीत, गज़ल, मुक्तक, रुबाई व दोहा आदि छंदों पर आधारित कार्यक्रम करते हैं। यही नहीं इसके अतिरिक्त वह लगभग प्रत्येक माह किसी न किसी नगर में एक कवि सम्मेलन का आयोजन करते हैं जिसमें सभी नवोदित व उदीयमान कवियों को भी काव्यपाठ का अवसर मिलता है और उनकी प्रतिभा को निखारा जाता है। साथ ही इन रचनाकारों का योग्यतानुसार सम्मान भी क...

रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक

रामचरितमानस दर्शन : एक पठनीय समीक्षात्मक पुस्तक पिछले कुछ दिनों से मैं आदरणीय रवि प्रकाश जी द्वारा रचित पुस्तक रामचरित मानस दर्शन का अध्ययन कर रहा हूँ।  तुलसी कृत रामचरित मानस लगभग हम सभी ने अवश्य पढ़ी होगी। मैंने तो कई बार पूरी रामचरित मानस का अध्ययन किया है और टीका सहित अध्ययन किया है, और हर बार पढ़ने पर कुछ न कुछ नयी जानकारी मिलती है।  आदरणीय रवि प्रकाश जी ने भी प्रतिदिन लगभग तीस दोहों का सस्वर वाचन भावार्थ सहित उपस्थित सत्संग प्रेमी भक्तजनों के सम्मुख किया,साथ ही उन्होंने दैनिक रूप से जो पढ़ा उसकी दैनिक समीक्षा भी लिखी।  ये समीक्षा वे दैनिक आधार पर साहित्यिक मुरादाबाद व साहित्य पीडिया के पटल पर भी शेयर करते थे।  पाठ पूर्ण होने पर उन्होंने इन दैनिक समीक्षाओं को संकलन रुप में प्रकाशित करवाने का महत्वपूर्ण कार्य किया। रामचरित मानस की समीक्षा का उनका यह संकलन स्वयं में अत्यंत अनूठा और उपयोगी है। बहुत सरल, आम बोलचाल की भाषा में रचित इस समीक्षा में, तमाम ऐसे तथ्यों का पता भी चलता है जो कई बार के मानस अध्ययन के बाद भी अन्जाने ही रह जाते हैं,  यथा: तुलसीदास जी द्वारा र...

प्रेम को अभिव्यक्त करने वाले सशक्त हस्ताक्षर थे स्मृति शेष आनंद स्वरूप मिश्रा जी

  प्रेम को अभिव्यक्त करने वाले सशक्त हस्ताक्षर थे स्मृति शेष आनंद स्वरूप मिश्रा जी स्मृति शेष आनंद स्वरूप मिश्रा जी से मेरा कोई पूर्व परिचय तो नहीं रहा। पटल पर उपलब्ध विवरण से ज्ञात हुआ कि वह जुलाई 1969 में महाराजा अग्रसेन इंटर कालेज में नियुक्त हुए थे। मैं भी महाराजा अग्रसेन इंटर कालेज में ही पढ़ता था किंतु मैं जून 1969 में इंटरमीडिएट पास करके कालेज छोड़ चुका था। श्री मिश्र जी की पटल पर उपलब्ध सामग्री से उनके भीतर के श्रेष्ठ कथाकार का परिचय मिलता है। उनकी कहानियां अधिकांशतः प्रेम व रोमांस पर आधारित हैं, ज्यादातर कहानियों में प्रेम त्रिकोण की परिस्थितियों को मूर्तरूप दिया गया है। कहानी मन की पीर भी शुरू तो हुई थी एक ऐसे पिता की व्यथा से जिसने अपने बच्तों को लायक बनाने हेतु अपना सर्वस्व लगा दिया था और अपना बुढ़ापा पुत्रों की उपेक्षा के बीच एकाकी काट रहा था, उसी मोड़ पर उन्हें युवावस्था का वह प्यार मिला जो परवान नहीं चढ़ सका था और दोनों ने अलग अलग गृहस्थी बसा ली थी ,और कालांतर में फिर एकाकी हो गये थे, कहानी इसी मोड़ पर समाप्त हो गई थी। यदि यह कहानी वर्तमान काल में लिखी गई होती तो निश्...

ये अभिनव भारत है।

  दुनिया वालो आँखें खोलो, ये अभिनव भारत है। अब तुम भी नत मस्तक हो लो, ये अभिनव भारत है। कल तक हमको साँप सँपेरों,वाला कहते आये। हमें मदारी और फकीरों, में ही गिनते आये। देखो हमने आज चाँद पर झंडा गाढ़ दिया है। दक्षिण ध्रुव पर विक्रम को निर्भीक उतार दिया है। भारत की ताकत अब तोलो, ये अभिनव भारत है। दुनिया वालो आँखें खोलो, ये अभिनव भारत है। पढ़ो जरा इतिहास सदा हम मेधा में अगड़े थे। अनुसंधानों में आगे संसाधन में पिछड़े थे। हमने खुद अपने ही दम पर, दिग्गज सभी पछाड़े। इसरो छोड़ो नासा में भी, हमने झंडे गाढ़े। विस्फारित नयनों को धो लो ये अभिनव भारत है। दुनिया वालो आँखें खोलो, ये अभिनव भारत है। हमको तो कल्याण विश्व का, हो ये सिखलाया है। सभी शांति से रहें यही कल्याण मंत्र गाया है। जो उपलब्धि हमारी उसका फल सब मानव पायें। सभी शांति से रहें विश्व में गीत प्रेम के गायें। सुप्त चेतना के पट खोलो, ये अभिनव भारत है। दुनिया वालो आँखें खोलो, ये अभिनव भारत है। ये तो केवल शुरूआत है अब हम नहीं रुकेंगे। नहीं डिगेंगे, नहीं झुकेंगे, आगे सदा बढ़ेंगे। विश्व पटल पर सभी चुनौती मिलकर पार करेंगे विश्व...

अंबरनाथ महाराष्ट्र शिव मंदिर

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  अंबरनाथ शिव मंदिर विगत दिनों में पारिवारिक कारणों से मुंबई जाना हुआ। अपने चार दिनों के मुंबई प्रवास के दौरान विगत रविवार को हम सपरिवार मुंबई के अंबरनाथ में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर में गये। सावन का महीना होने के कारण वहाँ दर्शनार्थियों की काफी भीड़ थी, जिस कारण लगभग डेढ़ घंटा लाइन में लगने के पश्चात दर्शन हुए। अंबरनाथ का शिव मंदिर 11वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है, जिसकी पूजा अभी भी की जाती है। यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में मिले शिलालेख के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 1060 ईं में राजा मांबाणि ने करवाया था। इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है। यह मंदिर बाहर से देखने पर स्पष्टतः अधूरा दिखता है। मंदिर के गर्भगृह के गवाक्ष व प्रस्तर एक निश्चित ऊँचाई तक ही बने हैं और मंदिर के मंडप के शिखर की ऊँचाई से काफी ऊँचे हैं। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के ठीक ऊपर खुला आकाश है जो स्पष्टतः बताता है कि मंदिर का निर्माण अधूरा ही है, और गवाक्ष के इन ...

चंदा, हाल तुम्हारा क्या है, अब हम जानेंगे।

 चंद्रयान 3 की सफल लैंडिंग के पश्चात एक त्वरित बाल कविताः चंदा, हाल तुम्हारा क्या है, अब हम जानेंगे।  दूर दुर रहते थे मामू पास न आते थे।  घटते बढ़ते कभी कभी गायब हो जाते थे।  अपना दर्द छुपाते क्यों थे सब हम जानेंगे।  चंदा हाल तुम्हारा क्या है अब हम जानेंगे।  अपने घर के सब दरवाजे तुमने बंद रखे थे विक्रम दर पर ढेर हुआ तुम नहीं पसीजे थे सोचा हमने कारण इसका कब हम जानेंगे।  चंदा हाल तुम्हारा क्या है अब हम जानेंगे।  हार न मानी हमने फिर विक्रम को दौड़ाया।  और दक्षिणी दरवाजे से तुम तक पहुँचाया।  क्या जी का जंजाल तुम्हारा सब हम जानेंगे।  चंदा हाल तुम्हारा क्या है अब हम जानेंगे।  विक्रम अरु प्रज्ञान साथ मिल तुमको जाँचेंगे। ।  अंग अंग स्कैन करेंगे, धड़कन मापेंगे।  क्या होगा उपचार तुम्हारा तब हम जानेंगे।  चंदा क्या है हाल तुम्हारा अब हम जानेंगे।  श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।  23.08.2023 #चंद्रयान_3 #Chandrayaan3 #SpaceMission #HistoryInTheMaking #Chandrayaan3Landing #isroscientists

कविवर दिग्गज मुरादाबादी : व्यक्तित्व और कृतित्व

  अत्यंत सरल किंतु अत्यंत स्वाभिमानी थे दिग्गज मुरादाबादी  जी। स्मृति शेष दिग्गज मुरादाबादी जी से मेरा प्रथम परिचय सन् 1984 में रामपुर में हुआ था। उस समय वह रामपुर में शिक्षक के रूप में कार्यरत थे। बल्कि यह कहना भी सर्वथा सत्य होगा कि कविता लिखने हेतु मुझे उन्होंने ही प्रोत्साहित किया। वह अत्यंत सरल व्यक्ति होने के साथ साथ अत्यंत स्वाभिमानी भी थे।  सरल इतने कि पहली मुलाकात में ही पूर्ण अपनत्व से मिलते थे, लगता ही नहीं था कि हम पहली बार मिल रहे हैं, और स्वाभिमानी इतने कि जहाँ जरा भी स्वाभिमान को ठेस लगी, फिर उस तरफ मुड़कर भी नहीं देखते थे। एक बार हमने और टोस्ट मुरादाबादी ने मिलकर रामपुर में सवेरा साहित्यिक संस्था की स्थापना की, उसमें दिग्गज जी व हीरालाल किरण जी भी संरक्षक थे। उसी संस्था के संयोजन में रामपुर में एक राष्ट्रीय कवि सम्मेलन के आयोजन की योजना बनी। हम सबके साथ साथ दिग्गज जी भी अत्यंत सक्रियता के साथ आयोजन की योजना व व्यवस्थाओं में लगे रहते थे। किंतु आयोजन से कुछ दिन पूर्व ही किसी बात पर वह नाराज हो गये, फिर तो उन्हें बहुत मनाने का प्रयास किया गया लेकिन वह आयोजन...

ओस की बूँदें : हाईकू संग्रह, समीक्षा

 ओस की बूँदें : सामाजिक परिवेश पर एक शानदार हाइकू संग्रह I -------------------------------------------------------------------------- ओस की बूँदें यद्यपि आकार प्रकार में छोटी सी होती हैं किंतु सौंदर्य में अप्रतिम होती हैं, पत्ते पर पड़ी ओस की बूँद मोती का अहसास दिलाती है, घास पर पड़ी ओस पर नंगे पाँव चलने से उसकी शीतलता मस्तिष्क तक पहुँचती है I कुछ कुछ ऐसी ही अनुभूति आदरणीय अशोक विश्नोई जी के हाइकू संग्रह 'ओस की बूँदें'  पढ़ने पर होती है I हाइकू यद्यपि जापानी छंद है किंतु यह सूक्ष्म आकार का छंद ओस की बूँद की तरह ही अपना प्रभाव छोड़ने में सक्षम है I हाइकू केवल तीन पंक्तियों का वार्णिक छंद है, जिसमें विषम चरणों में पाँच वर्ण होते हैं तथा सम चरण में सात वर्ण होते हैं I  दोहों की तरह हाइकू भी काव्य की ऐसी विधा है जिसमें छोटी सी कविता में बड़ा संदेश दिया जा सकता है I श्री अशोक विश्नोई जी की इस पुस्तक में लगभग चार सौ हाइकू प्रकाशित हैं, जिनमें उन्होंने जीवन के हर क्षेत्र में विभिन्न परिस्थितियों पर सशक्त अभिव्यक्ति दी है, फिर चाहे वह सामाजिक हो, राजनीतिक हो, व्यक्तिगत व्यवहार पर...

क्या रखा है जीत में या हार में

सजल क्या रखा है जीत में या हार में और क्या है व्यर्थ की तकरार में आज सीधी और सच्ची बात का, कुछ असर होता नहीं व्यवहार में तुम सुनाकर मंच पर जो छा गये, कल छपा था चुटकुला अखबार में काम ऐसा हो कि जग में नाम हो नाम का ही मोल है किरदार में क्यों जली लंका तनिक ये सोचिए, नाश ही परिणाम है व्यभिचार में श्रीकृष्ण शुक्ल,  मुरादाबाद।

संस्मरण : बाढ़ के बीच दो दिन

बाढ़ के बीच दो दिन ------------------------- वर्ष 2010 की बात है।  18 सितंबर शनिवार को सायं 4 बजे से तेज बारिश की झड़ी लग गयी।  उस समय मैं बिधुना (औरैया) शाखा में नियुक्त था और मुरादाबाद आने के लिये कन्नौज बस अड्डे पर खड़ा था।  बस में यात्रा के दौरान भी निरंतर कभी तेज तो कभी मद्धिम वर्षा होती रही।  जैसे तैसे सुबह के 4.00 बजे मुरादाबाद घर पहुँचे।  उस समय भी वर्षा हो रही थी।  अगले दिन रविवार को हमारे नवजात पौत्र की छठी का आयोजन था। उस दिन भी पूरे दिन कभी तेज तो कभी छिटपुट बारिश होती रही। शाम को छठी के आयोजन के बाद मैं अपनी जीजी व जीजाजी को कार द्वारा उनके घर ( जो गंगा मंदिर के पास, किसरौल में रहते थे) छोड़ने गया। बारिश उस समय भी हो रही थी और जगह जगह सड़कों पर पानी भरा था।  उस दिन भी देर रात तक बारिश होती रही।  अगले दिन प्रातः आसमान साफ था। रामगंगा का जलस्तर निरंतर बढ़ रहा था, किंतु हमारे घर के सामने सड़क पर पानी नहीं था, जिस कारण हम निश्चिंत थे। इससे पूर्व भी जब जब रामगंगा चढ़ती थी, हमारी सड़क पर थोड़ा पानी आता था जो एक दिन में ही उतर जाता था।  दोपहर 12 ...

रंग प्रेम के सबमें बांटो, यारो अबकी होली में।

 रंग प्रेम के सबमें बांटो, यारो अबकी होली में। हँस लो गा लो, धूम मचा लो, मस्ती और ठिठोली में। बैर भाव को भूल भाल कर, सबको गले लगाना है। आपस के सब झगड़े टंटे, आज जला दो होली में। घर में घुसकर बैठे बैठे, सब आनंद गँवाओगे। होली का उल्लास छिपा है, हुरियारों की टोली में। करो शरारत जमकर लेकिन, इतना फिर भी ध्यान रहे। जूते चप्पल ना चल जाएं, मस्ती भरी ठिठोली में। चाट पकौड़ी खा लो या फिर गुझिया शक्करपारे हों। होली का आनंद छिपा है, एक भांग की गोली में। साली सलहज से तुम जमकर रंग खेलना पर सुन लो। इतना ध्यान सदा ही रखना, रंग न जाये चोली में। भौजाई के संग शरारत सपने में भी मत करना। कान पकड़कर उट्ठक बैठक करवा देगी होली में। घरवाली के संग चलो तो ताकाझांकी मत करना। वरना घर में राड़ छिड़ेगी, आग लगेगी होली में। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। 12.03.2023

और जूते चुर गये

और जूते चुर गये  ये वर्ष 95 की बात है, दिसंबर का महीना था, ठंड भी खूब थी, दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित स्काउट मैदान में सहजयोग का एक बड़ा आयोजन था, जिसमें हमारा जाना हुआ I उस बार संयोग से मैं अकेला ही वहाँ गया था, मुरादाबाद से एक दो अन्य भाई भी गये थे लेकिन हमें पहले से पता नहीं चल सका था İ जूता चप्पल चोर ऐसे आयोजनों में सूंघ सांघकर पहुँच ही जाते हैं, और संभवत: उन्हें मेरे जूते और चप्पलें अधिक पसंद आते होंगे, या उनके पाँव में मेरी ही चप्पल फिट आती होगी जिस कारण मेरी चप्पल अधिकतर चुर जाती थी I उस दिन ठंड के कारण मैं जूते पहनकर गया था, जूते लगभग नये ही थे, मैंने जूता चोरी से बचने के लिये एक तोड़ निकाला था जिसके अनुसार एक जूता पंडाल के एक खंबे के पास उतारा और दूसरा थोड़ी दूर पर दूसरे खंबे के पास उतारा, ताकि एक साथ रखे होने पर चुर न जायें I ये राय भी हमें जूता चोरी से प्रताड़ित एक विशेषज्ञ ने ही दी थी I अंदर पंडाल में बहुत भीड़ थी जिस कारण बाहर भी जूते चप्पलों की बहुतायत थी İ कार्यक्रम रात्रि लगभग 11 बजे तक चला, कार्यक्रम के बाद जब बाहर आये तो हमारे जूते नदारद थे I निश्चित ही जूताचोर ह...

सहजयोग मुरादाबाद शिवरात्रि पूजा

सहजयोग केन्द्र, काजीपुरा, मुरादाबाद में, कल सहजयोग मुरादाबाद परिवार द्वारा महाशिवरात्रि उत्सव धूमधाम से मनाया गया | प्रात: 10 बजे से प्रारंभ समारोह मैं, सर्वप्रथम सहजयोगियों द्वारा ध्यान द्वारा संतुलन प्राप्त किया I तदुपरान्त श्री माताजी की चरण पादुकाओं का स्वागत गान हुआ I इस बार श्रीमाताजी की चरण पादुकाओं को श्री माँ के कक्ष से पूजा मंच पर श्री माँ के सिंहासन तक लाने का सौभाग्य हमें व श्री विनोद गुप्ता को मिला I तदुपरांत श्री माँ के शिव पूजा प्रवचन की एक वीडियो चलाई गयी I तत्पश्चात भजनों द्वारा श्री माँ की स्तुति की गयी, देवताओं का आह्वान, पूजा संकल्प, कलश पूजन के बाद सर्वप्रथमश्री गणेश की पूजा पाद प्रक्षालन द्वारा की गयी, तदुपरान्त दूध, दही, मक्खन, शहद, शर्करा, घृत, केशर आदि से श्री शिव स्वरूप का अभिषेक किया गया, तत्पश्चात देवी का श्रंगार किया गया, आभूषणों व पुष्पों से सज्जित किया गया, भेंट अर्पित की गयी İ इस  अंतराल में सहजी जन समवेत स्वरों में भजन गाते रहे I श्रंगार के बाद महादेव के 108 नामों के सामूहिक उच्चारण के साथ साथ श्री शिव के चरणों में बेल पत्र, भांग, धतूरा, विल्व फल सम...

अकारण मुस्कुराना सीख लो

  अश्रु आँखों में छिपाना सीख लो I तुम अकारण मुस्कुराना सीख लो II रूठने से बात बिगड़ी है सदा I आप रूठे को मनाना सीख लो II घर में बीबी से उलझने की जगह I हाँ में हाँ उसकी मिलाना सीख लो II बात दिल में रखोगे, पछताओगे I बात हँसकर भूल जाना सीख लो II मृत्यु सम्मुख हो भले लडते रहो I मृत्यु से आँखें मिलाना सीख लो II हो अमावस की निशा चिन्ता नहीं I जुगनुओं सा  टिमटिमाना सीख लो II श्रीकृष्ण शुक्ल , मुरादाबाद

सहज और संतुलित जीवन शैली सिखाता है सहज योग.

  सहज और संतुलित जीवन शैली सिखाता है सहज योग. आज की भाग दौड़ भरी दिनचर्या में प्रत्येक व्यक्ति सामान्यतया तनाव ग्रस्त रहता है I इसी तनाव के कारण व्यक्ति अक्सर गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त हो जाता है और फिर जिंदगी भर चिकित्सकों और दवाइयों के सहारे चलता रहता हैं I  यह भी जग जाहिर है कि इस तनाव और तनाव जनित रोगों से बचाव के लिये योग करना अत्यंत लाभप्रद है, लेकिन तमाम लोग ऐसे भी हैं जो सरलता से योगासन आदि  नहीं कर पाते, क्योंकि योगासन श्रमसाध्य होते हैं I आज हम चर्चा कर रहे हैं श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा स्थापित सहज योग की, जो एक ऐसी योगविधि है जिसे करने के लिये कोई श्रम नहीं करना पड़ता, कोई आसन नहीं लगाना पड़ता, बस सुबह शाम 10 - 15 मिनट ध्यान करना पड़ता है I सहजयोग के माध्यम से ध्यान करने पर साधक की अंतर्जात शक्ति (जिसे कुंडलिनी भी कहा गया है), सूक्ष्मता में जागृत हो जाती है और सहस्त्रार चक्र क्रियाशील हो जाता है,  जिसके परिणामस्वरूप साधक के स्नायु तंत्र में ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संचरण होने लगता है, जिसकी अनुभूति साधक की उंगलियों के पोरों पर तथा सहस्त्रार पर ...

अत्यंत सरल, सौम्य और सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे, स्मृति शेष शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी

अत्यंत सरल, सौम्य और सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे, स्मृति शेष शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी कीर्तिशेष श्री शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी से मेरा परिचय वर्ष 1994 में हुआ था I  उस समय मैं स्टेट बैंक की मुख्य शाखा मुरादाबाद में फील्ड आफीसर नियुक्त था, साथ ही सहजयोग मुरादाबाद का केंद्र व्यवस्थापक था I उस समय श्री पुनीत रस्तोगी भी मुरादाबाद शाखा में ही नियुक्त थे, और हमारे संपर्क में आने के बाद सक्रिय रूप से सहज योग से जुड़ गये थे I एक दिन बैंक में ही पुनीत जी के साथ श्री सरस जी आये थे और हमारा परिचय हुआ, श्री सरस जी सहजयोग के विषय में जानने को उत्सुक थे, सहजयोग के संदर्भ में ही हमारी देर तक चर्चा हुई. चर्चा के दौरान यह भी पता चला कि वह कविताएं भी लिखते हैं, पुनीत जी ने हमारे बारे में भी बताया कि भाईसाहब भी कविताएं लिखते हैं, इससे आत्मीयता और बढ़ गयी, उन्होंने मुझे अपनी बालगीत की एक पुस्तक भी भेंट की İ फिर वह रविवार को लगने वाले सहजयोग केंद्र पर भी आने लगे थे İ बैंक में भी यदा कदा उनका हमारे पास आना जाना लगा रहता था I वर्ष 2000 में मेरा मुरादाबाद से अन्यत्र स्थानांतरण हो गया था, जि...

गणतंत्र का उत्सव और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न

  गणतंत्र का उत्सव और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न 26 जनवरी का दिन हम सभी भारतवासियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है İ वैसे तो हमारा देश 15 अगस्त 1947 के दिन स्वतंत्र हुआ था, लेकिन उस समय हमारे पास अपना कोई संविधान नहीं था , हम ब्रिटिश कानून से ही नियंत्रित हो रहे थे, राष्ट्राध्यक्ष भी राष्ट्रपति न हो कर गवर्नर जनरल होता था I स्वतंत्रता हासिल करने के बाद अपना संविधान बनाने पर कार्य हुआ, संविधान सभा का गठन किया गया, संविधान सभा द्वारा तमाम बैठकों और विचार विमर्श के बाद जो संविधान बनाया गया,  उसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया I  इस प्रकार 26 जनवरी 1950 को हमारा देश एक स्वायत्तशासी गणतंत्र बना,  और राष्ट्रध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति हमारे सर्वोच्च शासक बने I इसी कारण हम प्रतिवर्ष 26 जनवरी को अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाते हैं I इस वर्ष हम गणतंत्र दिवस की 73 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं I इन तिहत्तर वर्षों में यद्यपि आम जन जीवन में आमूल चूल परिवर्तन हुआ हैं, तकनीक और संसाधनों के साथ साथ आर्थिक आधार पर भी देश धीरे धीरे विकसित राष्ट्रों के समकक्ष दिखाई देने लगा है I अंतर्राष्ट्री...

बेसहारों का सहारा

 मंच को नमन, बहुत दिनों बाद आज एक प्रस्तुति मेरी भी : बेसहारों का सहारा भाइयो और बहनों, लोगों के जुटते ही श्याम बाबू माइक संभालते हुऐ बोले: जैसा कि आप जानते हैं कि इस समय ठंड अपने चरम पर है, हमारे शहर में तमाम निर्धन बेसहारा लोग ऐसे हैं जिनके पास ठंड से बचने को ढंग के कपड़े भी नहीं हैं, हमने निर्णय किया है कि संस्था की ओर से ऐसे लोगों को स्वेटर और कंबल वितरित किये जायेंI श्याम बाबू शहर की संस्था 'बेसहारों का सहारा ' के संस्थापक अध्यक्ष थे, आज उनके आह्वान पर संस्था की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी I  सभी लोगों की सहमति के बाद चंदा जुटाया गया और  बजट बनाया गया I घनश्याम जी ने कहा कंबल की खरीद मैं करवा दूंगा, मेरा एक कंबल बनाने वाली फैक्टरी के मालिक से परिचय है, वहाँ से बढ़िया कंबल मुनासिब दाम में मिल जायेंगे. अरे घनश्याम जी, उनकी बात काटते हुए श्याम बाबू बोले : कंबल तो कंबल ही होता है, बढ़िया के चक्कर में न पड़ें, बाजार से सस्ते कंबल खरीद लीजिए; आखिर पंडाल , साउंड सिस्टम, कैटरिंग का इंतजाम भी करना है, अतिथियों का सम्मान भी करना है, स्मृति चिन्ह भी देना है, मीडिया व प्रशासनिक अ...