गणतंत्र का उत्सव और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न

 गणतंत्र का उत्सव और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न

26 जनवरी का दिन हम सभी भारतवासियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है İ वैसे तो हमारा देश 15 अगस्त 1947 के दिन स्वतंत्र हुआ था, लेकिन उस समय हमारे पास अपना कोई संविधान नहीं था , हम ब्रिटिश कानून से ही नियंत्रित हो रहे थे, राष्ट्राध्यक्ष भी राष्ट्रपति न हो कर गवर्नर जनरल होता था I

स्वतंत्रता हासिल करने के बाद अपना संविधान बनाने पर कार्य हुआ, संविधान सभा का गठन किया गया, संविधान सभा द्वारा तमाम बैठकों और विचार विमर्श के बाद जो संविधान बनाया गया,  उसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया I  इस प्रकार 26 जनवरी 1950 को हमारा देश एक स्वायत्तशासी गणतंत्र बना,  और राष्ट्रध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति हमारे सर्वोच्च शासक बने I

इसी कारण हम प्रतिवर्ष 26 जनवरी को अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाते हैं I

इस वर्ष हम गणतंत्र दिवस की 73 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं I

इन तिहत्तर वर्षों में यद्यपि आम जन जीवन में आमूल चूल परिवर्तन हुआ हैं, तकनीक और संसाधनों के साथ साथ आर्थिक आधार पर भी देश धीरे धीरे विकसित राष्ट्रों के समकक्ष दिखाई देने लगा है I अंतर्राष्ट्रीय पटल पर भी भारत का महत्व प्रमुखता के साथ बढ़ा है I  G - 20 का अध्यक्ष भारत को चुना जाना इस दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है I

आंतरिक मोर्चे पर भी देश में काफी विकास हुआ है, सड़कों के नेटवर्क में अत्यधिक सुधार हुआ है, देश में द्रुत गति की ट्रेन वंदे भारत दौड़ने लगी हैं I

कोविड 19 से निपटने की दिशा में यथाशीघ्र वैक्सीन बना लेना और रिकार्ड समय में सब देशवासियों के वैक्सीन लगा कर देश ने विश्व को चमत्कृत कर दिया है I

लेकिन इस सबके बावजूद हम आज भी आत्मनिर्भर नहीं हैं I तमाम रोजमर्रा की जरूरतों और संसाधनों के लिये हम चीन पर निर्भर हैं I चीन के साथ हमारा व्यापार संतुलन बिगड़ता जा रहा है I

बेरोजगारी भी हमारे देश में एक बड़ी समस्या है, तमाम नवयुवक    अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद रोजगार की तलाश में भटकते रहते हैं, इनमें से जो मेधावी हैं उन्हें रोजगार मिल जाता है, कुछ को अपनी योग्यता की अपेक्षाकृत निम्न स्तर का रोजगार करना पड़ता है, शेष बेरोजगार रह जाते हैं I वस्तुत: इस समस्या की वजह भी यही है कि हमारे यहाँ रोजगार का मतलब सरकारी नौकरी माना जाता है, जिन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिलती वह प्राइवेट सैक्टर में नौकरी ढूँढते हैं, जहाँ तमाम युवा अपनी योग्यता और दक्षता से इतर, ऐसी नौकरी कर लेते हैं जहाँ उनकी योग्यता का कोई उपयोग ही नहीं होता I विडंबना यह है कि हमारे युवा अपनी योग्यता और दक्षता के अनुसार स्वयं का उपक्रम प्रारंभ करने की दिशा में नहीं सोचते, जबकि सरकार नये स्टार्ट अप के लिये तमाम प्रोत्साहन और सुविधाएं दे रही है I

यदि युवा अपना उद्योग लगाने की दिशा में अग्रसर होंगे तब वह स्वयं तो आत्मनिर्भर बनेंगे ही, साथ ही अन्य युवाओं को रोजगार देने का माध्यम भी बनेंगे I यदि हमारे युवा स्वरोजगार की दिशा में अपना उपक्रम लगाने की दिशा में अग्रसर हो जायें तो देश आत्मनिर्भर भी होगा और बेरोजगारी की समस्या का भी निदान हो सकेगा I

दूसरी चिन्ता की बात यह है कि हमारे यहाँ अधिकांश नागरिकों को देश की कोई चिन्ता ही नहीं है, व्यक्तिगत हित के आगे लोग देश हित को तिलांजलि दे देते हैं I

लोग अपने अधिकारों के लिये तो लड़ते हैं, और अराजकता की स्थिति तक उतारू हो जाते हैं, किंतु देश के प्रति अपने कर्तव्यों को भूल जाते हैं I  शाहीन बाग और किसान आंदोलन इसके प्रत्यक्ष प्रमाण हैं I

देश की तरक्की में इस प्रकार की मानसिकता सबसे बड़ी बाधा है I  

उपरोक्त तथ्य से यही निष्कर्श निकलता है कि वर्तमान में हमारे यहाँ सर्वाधिक आवश्यकता देशवासियों में देश के प्रति अपने कर्तव्यों और जबाबदेही की भावना जगाने की है, साथ ही देश के युवाओं को स्वरोजगार की दिशा में प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है I सरकार तो अपनी ओर से इस दिशा में तमाम नीतियां और योजनाएं निरंतर बना ही रही है, देश के नागरिक के तौर पर हम सबका भी यह कर्तव्य है कि हम भी जन जन को अपने अपने स्तर से इस दिशा में प्रोत्साहित करेंI

आइए इस गणतंत्र दिवस पर हम सभी यह संकल्प लें कि हम अपने अधिकारों के साथ साथ देश के प्रति अपने कर्तव्यों के प्रति भी लोगों को जागरूक करेंगे, और युवाओं को निजी उपक्रम प्रारंभ करने की दिशा में प्रोत्साहित करेंगे ताकि हमारा देश आत्मनिर्भरता की दिशा में अग्रसर हो सके I

जय हिन्द, जय भारत I


श्रीकृष्ण शुक्ल, 

MMIG - 69,

रामगंगा विहार, 

मुरादाबाद  I

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