सहज और संतुलित जीवन शैली सिखाता है सहज योग.
सहज और संतुलित जीवन शैली सिखाता है सहज योग.
आज की भाग दौड़ भरी दिनचर्या में प्रत्येक व्यक्ति सामान्यतया तनाव ग्रस्त रहता है I इसी तनाव के कारण व्यक्ति अक्सर गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त हो जाता है और फिर जिंदगी भर चिकित्सकों और दवाइयों के सहारे चलता रहता हैं I यह भी जग जाहिर है कि इस तनाव और तनाव जनित रोगों से बचाव के लिये योग करना अत्यंत लाभप्रद है, लेकिन तमाम लोग ऐसे भी हैं जो सरलता से योगासन आदि नहीं कर पाते, क्योंकि योगासन श्रमसाध्य होते हैं I
आज हम चर्चा कर रहे हैं श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा स्थापित सहज योग की, जो एक ऐसी योगविधि है जिसे करने के लिये कोई श्रम नहीं करना पड़ता, कोई आसन नहीं लगाना पड़ता, बस सुबह शाम 10 - 15 मिनट ध्यान करना पड़ता है I
सहजयोग के माध्यम से ध्यान करने पर साधक की अंतर्जात शक्ति (जिसे कुंडलिनी भी कहा गया है), सूक्ष्मता में जागृत हो जाती है और सहस्त्रार चक्र क्रियाशील हो जाता है, जिसके परिणामस्वरूप साधक के स्नायु तंत्र में ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संचरण होने लगता है, जिसकी अनुभूति साधक की उंगलियों के पोरों पर तथा सहस्त्रार पर ठंडे स्पंदन द्वारा होने लगती है I
यह ब्रह्मांडीय ऊर्जा ही परमात्मा की सर्वव्यापक शक्ति है जो प्रत्येक प्राणी की प्रत्येक गतिविधि को संचालित करती है I
जो व्यक्ति ध्यान में इस शक्ति के स्पंदन को अपने स्नायु तंत्र में अनुभव करने लगता है, वह पूर्ण निर्विचार हो जाता है, मस्तिष्क बिल्कुल शांत हो जाता है और आनंद की स्थिति स्थापित हो जाती है I धीरे धीरे ध्यान में अग्रसर होने से व्यक्ति को इस निर्विचारिता की स्थिति में रहने की आदत पड़ जाती है, और उसमें विवेक जागृत हो जाता है तथा उसका मस्तिष्क तनाव रहित रहता हैI
जब मस्तिष्क तनावरहित हो जाता है, तो तनाव जनित व्याधियां भी शांत हो जाती हैं और व्यक्ति स्वस्थ व आनंदमय जीवनयापन करने में सक्षम हो जाता है I
इस स्थिति को प्राप्त करने के लिये व्यक्ति को केवल सहजयोग के माध्यम से ध्यान करना होता है, जिसमें सर्वप्रथम सहजयोग केन्द्र पर जाकर ध्यान की प्रक्रिया समझनी होती है और आत्मसाक्षात्कार की अनुभूति प्राप्त करनी होती है I अनुभूति प्राप्त होने के बाद प्रतिदिन सुबह शाम घर में 10 - 15 मिनट ध्यान करना होता है और सप्ताह में एक बार सहजयोग केन्द्र पर सामूहिक ध्यान में जाना होता है I वस्तुत: सहजयोग सामूहिकता का योग है, सामूहिकता में द्यान करने से ही साधक के ध्यान में प्रगति होती है İ
सामूहिकता में व्यक्ति आपस में एक दूसरे के ध्यान की स्थिति भी समझने लगते हैं और आवश्यकता पड़ने पर ध्यान में आ रही समस्याओं से निपटने में भी एक दूसरे की सहायता करते हैं I सहज ध्यान करने वाला व्यक्ति तनाव से मुक्त, सरल, सहज और संतुलित जीवन यापन करता है जो वर्तमान समय की सबसे बड़ी आवश्यकता है I
तो आइए आज से ही अपने नजदीकी सहजयोग केन्द्र पर जाना शुरु कर दें और संकुलित, स्वस्थ और आनंदमय जीवन जीने के लिये सहजयोग को अपनायें I
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG - 69,
रामगंगा विहार,
मुरादाबाद I
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