क्या रखा है जीत में या हार में
सजल
क्या रखा है जीत में या हार में
और क्या है व्यर्थ की तकरार में
आज सीधी और सच्ची बात का,
कुछ असर होता नहीं व्यवहार में
तुम सुनाकर मंच पर जो छा गये,
कल छपा था चुटकुला अखबार में
काम ऐसा हो कि जग में नाम हो
नाम का ही मोल है किरदार में
क्यों जली लंका तनिक ये सोचिए,
नाश ही परिणाम है व्यभिचार में
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
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