अंबरनाथ महाराष्ट्र शिव मंदिर
अंबरनाथ शिव मंदिर
विगत दिनों में पारिवारिक कारणों से मुंबई जाना हुआ।
अपने चार दिनों के मुंबई प्रवास के दौरान विगत रविवार को हम सपरिवार मुंबई के अंबरनाथ में स्थित एक प्राचीन शिव मंदिर में गये। सावन का महीना होने के कारण वहाँ दर्शनार्थियों की काफी भीड़ थी, जिस कारण लगभग डेढ़ घंटा लाइन में लगने के पश्चात दर्शन हुए।
अंबरनाथ का शिव मंदिर 11वीं शताब्दी का एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर है, जिसकी पूजा अभी भी की जाती है। यह मंदिर भारत के महाराष्ट्र में मुंबई के पास अंबरनाथ शहर में स्थित है। यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और इसे अंबरेश्वर के नाम से भी जाना जाता है। मंदिर में मिले शिलालेख के अनुसार, इस मंदिर का निर्माण 1060 ईं में राजा मांबाणि ने करवाया था। इस मंदिर को पांडवकालीन मंदिर भी बताया जाता है।
यह मंदिर बाहर से देखने पर स्पष्टतः अधूरा दिखता है। मंदिर के गर्भगृह के गवाक्ष व प्रस्तर एक निश्चित ऊँचाई तक ही बने हैं और मंदिर के मंडप के शिखर की ऊँचाई से काफी ऊँचे हैं। गर्भगृह में स्थापित शिवलिंग के ठीक ऊपर खुला आकाश है जो स्पष्टतः बताता है कि मंदिर का निर्माण अधूरा ही है, और गवाक्ष के इन अधूरे प्रस्तरों पर कलश स्थापित होना छूट गया है। कलश के स्थान पर खुला आकाश होना भी इसी ओर इंगित करता है।
एक किवदंती यह भी प्रचलित है कि अज्ञातवास के दौरान पांडवों ने कुछ समय अंबरनाथ में बिताया था, तब उन्होंने विशाल पत्थरों से एक ही रात में इस मंदिर का निर्माण किया था। फिर कौरवों द्वारा लगातार पीछा किए जाने और पहचाने जाने के भय से वह यह स्थान छोड़कर चले गए। जिससे मंदिर का कार्य पूरा नहीं हो सका। मंदिर का अधूरा होना भी इस अवधारणा को बल देता है।
मंदिर की वास्तुकला देखते ही बनती है, जिससे यहां देश-विदेश से कई लोग आते हैं। मंदिर की बाहर की दीवारों पर भगवान शिव के अनेक रूप बने हुए हैं। इसके साथ ही गणेश, कार्तिकेय, चंडिका आदि देवी-देवताओं की मूर्तियां से सजा हुआ है। साथ ही देवी दुर्गा को असुरों का नाश करते हुए भी दिखाया गया है।
मंदिर के मुखमंडप पर दो नंदी बैल बने हुए हैं। मंदिर में प्रवेश के लिए तीन मुखमंडप हैं। अंदर जाते हुए सभामंडप तक पहुंचते हैं और फिर सभामंडप के बाद 9 सीढ़ियों के नीचे गर्भगृह स्थित है। मंदिर के गर्भ गृह में मुख्य शिवलिंग स्थापित है, जिसके ऊपर चौकोर स्थान में खुला आकाश नजर आता है।
शिवरात्रि के अवसर पर यहां मेले का आयोजन किया जाता है। यह मेला 3-4 दिनों तक लगाया जाता है, तब यहां काफी भीड़ होती है।
सालों से मौसम की मार झेल रहा यह मंदिर आज भी खड़ा है, और हमारी प्राचीन स्थापत्य कला के दर्शन करा रहा है। स्थानीय लोगों में मान्यता है कि यह भी शिव जी का एक ज्योतिर्लिंग है।
यूनेस्को ने अंबरनाथ शिव मंदिर को सांस्कृतिक विरासत घोषित किया है।
प्रस्तुत हैं मंदिर का कुछ चित्रः
श्रीकृष्ण शुक्ल।
20.08.2023

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