अत्यंत सरल, सौम्य और सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे, स्मृति शेष शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी
अत्यंत सरल, सौम्य और सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे, स्मृति शेष शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी
कीर्तिशेष श्री शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी से मेरा परिचय वर्ष 1994 में हुआ था I उस समय मैं स्टेट बैंक की मुख्य शाखा मुरादाबाद में फील्ड आफीसर नियुक्त था, साथ ही सहजयोग मुरादाबाद का केंद्र व्यवस्थापक था I उस समय श्री पुनीत रस्तोगी भी मुरादाबाद शाखा में ही नियुक्त थे, और हमारे संपर्क में आने के बाद सक्रिय रूप से सहज योग से जुड़ गये थे I
एक दिन बैंक में ही पुनीत जी के साथ श्री सरस जी आये थे और हमारा परिचय हुआ, श्री सरस जी सहजयोग के विषय में जानने को उत्सुक थे, सहजयोग के संदर्भ में ही हमारी देर तक चर्चा हुई. चर्चा के दौरान यह भी पता चला कि वह कविताएं भी लिखते हैं, पुनीत जी ने हमारे बारे में भी बताया कि भाईसाहब भी कविताएं लिखते हैं, इससे आत्मीयता और बढ़ गयी, उन्होंने मुझे अपनी बालगीत की एक पुस्तक भी भेंट की İ
फिर वह रविवार को लगने वाले सहजयोग केंद्र पर भी आने लगे थे İ बैंक में भी यदा कदा उनका हमारे पास आना जाना लगा रहता था I वर्ष 2000 में मेरा मुरादाबाद से अन्यत्र स्थानांतरण हो गया था, जिसके पश्चात धीरे धीरे संपर्क समाप्त हो गया İ
उस समय सोशल मीडिया नाम की कोई चीज नहीं थी अन्यथा ये संपर्क समाप्त न होता İ
वर्ष 2013 में सेवानिवृत होने के पश्चात मैं साहित्य के क्षेत्र में पुन: सक्रिय होने को उद्यत हुआ, इसी क्रम में वर्ष 2016 में साहित्यिक मुरादाबाद से जुड़ा, वहीं एक दिन उनकी रचना और रचना के नीचे उनका नाम देखकर पुन: उनकी स्मृति हो आई, और मैंने तुरंत उन्हें मैसेज किया, और वह तुरंत पहचान भी गये,
फिर तो फोन पर वार्तालाप होना शुरु हो गया İ
वह मेरी रचनाओं पर नियमित प्रतिक्रिया करते थे, जहाँ आवश्यकता होती सुझाव भी देते थे I
दिसंबर 2018 में एक बार राजीव प्रखर जी के साथ उनके वेव ग्रीन स्थित आवास पर जाना भी हुआ, बहुत प्रसन्न हुए, देर तक वार्तालाप हुआ, हमारे आग्रह पर अपनी दो तीन बाल कविताएं भी उन्होंने सुनायीं I उसी समय उन्होंने हमें अपनी पुस्तक मैं और 'मेरे उत्प्रेरक' भेंट की, साथ ही अपने द्वारा प्रकाशित करायी हुई सत्यार्थ प्रकाश की भी एक प्रति भेंट की I
इसके पश्चात् 4 जनवरी 2019 को शहर की संस्था हस्ताक्षर द्वारा उनके जन्मदिन पर उनके निवास पर उनके सम्मान में आयोजित कार्यक्रम में जाना हुआ I
कोरोना काल में लाकडाउन के दौरान हमारी संस्था काव्य प्रवाह अनुगूँज द्वारा आयोजित आनलाइन एकल काव्यपाठ हेतु मैने उन्हें निमंत्रित करने के लिये फोन किया तो बड़े प्रसन्न हुए, फिर बोले हमें आता जाता तो है ही नहीं, इस पर कैसे लाइव आयें, फिर बोले लाकडाउन समाप्त होने के बाद आप आ जाना और आप ही करवाना, हम भी सहमत हो गये I
लाकडाउन भी बीता किंतु कोरोना और अधिक फैलने लगा था, जिस कारण बाहर आना जाना बंद ही रहा I
इसी दौरान जनवरी 2022 में कोरोना की पहली लहर काफी कमजोर हो गयी थी, कुछ कार्यक्रम भी सीमित उपस्थिति के साथ आयोजित होने लगे थे, उसी दौरान उनकी एक पुस्तक बाल बूझ पहेलियां के लोकार्पण का कार्यक्रम, महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय में आयोजित हुआ, कार्यक्रम में तो मैं नहीं जा पाया था किंतु फोन पर उन्हें बधाई दी और काफी देर तक बात हुई.
यही हमारी अंतिम बात थी, क्योंकि इसके लगभग एक सप्ताह बाद ही साहित्यिक मुरादाबाद पटल पर ही श्री मनोज रस्तोगी जी ने सूचित किया कि वह गंभीर रूप से बीमार हैं और सिद्ध हास्पिटल में भर्ती हैं, हास्पिटल के बैड पर मास्क लगाये लेटे हुए उनका चित्र भी उन्होंने शेयर किया था, और अंतत: 2 फरवरी को काल के क्रूर हाथों ने उन्हें हमसे छीन लिया I
वह एक अत्यंत सरल ह्रदय, सौम्य व्यक्तित्व के स्वामी थे I
उनका समस्त लेखन सहज और साधारण बोलचाल की भाषा में है और उनका लेखन शिक्षाप्रद और समाज को सही दिशा दिखाने वाला है, फिर चाहे वह उनका बाल साहित्य हो ,अभिनव मधुशला हो , या पर्यावरण पचीसी आदि हों या उनकी अन्यत्र प्रकाशित रचनाएं हों İ
कुछ उदाहरण देखें:
1.इस सर्दी के कारण ही तो,
रात बड़ी दिन छोटा है,
2.कभी सिकुड़कर कभी फैलकर,
कुदरत करती अपना काम,
यों मौसम परिवर्तित होता,
गर्मी सर्दी पाते नाम İ
.3.भारतीय शिक्षा संस्कृति का सदा रहा है, यह आदर्श,
मात पिता की सेवा से ही होता है जग में उत्कर्ष.
4. कीमत का कुछ मोल नहीं है, अगर न हो उसका उपयोग I
लोहा सोने से श्रेयस्कर, चलते हैं इससे उद्योग ii
उनका कुछ साहित्य अभी अप्रकाशित भी है, हमें इस दिशा में प्रयास करने चाहिए जिससे किसी प्रकार उनका अप्रकाशित साहित्य प्रकाशित होकर पाठकों के सम्मुख आ सके i
इन्हीं शब्दों के साथ श्री शिव अवतार रस्तोगी सरस जी को श्रद्धा सुमन अर्पित करता हूँ, साथ ही साहित्यिक मुरादाबाद के प्रशासक श्री मनोज रसृतैगी जी का भी हार्दिक आभार व्यक्त करता हूँ जिन्होंने उनकी स्मृति में यह आयोजन किया I
श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG - 69,
रामगंगा विहार, मुरादाबाद.
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