रंग प्रेम के सबमें बांटो, यारो अबकी होली में।

 रंग प्रेम के सबमें बांटो, यारो अबकी होली में।

हँस लो गा लो, धूम मचा लो, मस्ती और ठिठोली में।


बैर भाव को भूल भाल कर, सबको गले लगाना है।

आपस के सब झगड़े टंटे, आज जला दो होली में।


घर में घुसकर बैठे बैठे, सब आनंद गँवाओगे।

होली का उल्लास छिपा है, हुरियारों की टोली में।


करो शरारत जमकर लेकिन, इतना फिर भी ध्यान रहे।

जूते चप्पल ना चल जाएं, मस्ती भरी ठिठोली में।


चाट पकौड़ी खा लो या फिर गुझिया शक्करपारे हों।

होली का आनंद छिपा है, एक भांग की गोली में।


साली सलहज से तुम जमकर रंग खेलना पर सुन लो।

इतना ध्यान सदा ही रखना, रंग न जाये चोली में।


भौजाई के संग शरारत सपने में भी मत करना।

कान पकड़कर उट्ठक बैठक करवा देगी होली में।


घरवाली के संग चलो तो ताकाझांकी मत करना।

वरना घर में राड़ छिड़ेगी, आग लगेगी होली में।


श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

12.03.2023

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