अंततः दिल्ली आपदा से मुक्त हो गई
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दिल्ली चुनाव : आठ तारीख का इंतजार
दिल्ली में चुनाव की तारीख जैसे जैसे पास आती जा रही है वैसे वैसे आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार मर्यादा की सारी सीमाएं लांघता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रोज एक नया झूठा जुमला उछाल देते हैं। वस्तुतः केजरीवाल को भी अहसास हो गया है कि इस बार उनकी पार्टी का जीतना आसान नहीं है, यही कारण है कि वह निरंतर वोटर्स को डराने का उपक्रम कर रहे हैं, जैसे कि अगर भाजपा की सरकार आई तो उनकी जिंदगी मुश्किल हो जायेगी। मुफ्त की बिजली पानी बंद हो जायेगी, मुहल्ला क्लीनिक बंद हो जायेंगी, मुफ्त की जो सुविधाएं मिल रही हैं वह सब भाजपा सरकार बंद कर देगी।
सबसे बड़ा और अविश्वसनीय झूठ तो उन्होंने ये बोला कि हरियाणा में भाजपा सरकार ने यमुना के पानी में जहर मिला दिया और वह ऐसा जहरीला पानी था जो ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं निकाला जा सकता था, इसलिए हमने उस पानी को दिल्ली में आने से रोक लिया। यदि ये पानी दिल्ली में घरों तक पहुंच जाता तो जेनोसाइड (नरसंहार) हो जाता। केजरीवाल का यह बयान खुद उनको ही उपहास का पात्र बना रहा है। यमुना इतनी बड़ी नदी है, क्या उसके पानी को जहरीला बनाया जा सकता है। फिर केजरीवाल को कैसे पता चला कि पानी में जहर मिलाया गया है, दूसरी बात यह कि उन्होंने यमुना के पानी को दिल्ली में आने से कैसे रोका और यदि डाइवर्ट किया तो कहॉं भेजा। ये सारे सवाल अब चुनाव आयोग उनसे पूछ रहा है।
उधर भाजपा की ओर से स्वयं मोदी जी ने इस बार मोर्चा संभाला है। साथ ही योगी आदित्यनाथ जी ने भी दिल्ली में ताबड़तोड़ रैलियां करके केजरीवाल की मुश्किलें बढ़ाई है। इसके अलावा गृहमंत्री अमित शाह भी केजरीवाल के झूठ को जनता के सामने उजागर कर रहे हैं।
यहीं नहीं, केजरीवाल ने इंडी गठबंधन से अलग होकर दिल्ली में अकेले चुनाव लड़ने का निर्णय किया। साथ ही उन्होंने कांग्रेस को अलग थलग करने की भूमिका भी निभाई जिस कारण इंडी गठबंधन के अन्य घटक दल भी दिल्ली चुनाव में कांग्रेस को छोड़कर आम आदमी पार्टी का समर्थन करने लगे। आज दिल्ली में अखिलेश यादव ने भी केजरीवाल के साथ रोड शो किया है।
यही कारण है कि अब दिल्ली चुनावों में राहुल गांधी भी खुलकर केजरीवाल की आलोचना पर उतर आये है। राहुल गाॅंधी चाहते हैं कि आम आदमी पार्टी कमजोर हो, क्योंकि जब आम आदमी पार्टी कमजोर होगी तभी दिल्ली में कांग्रेस थोड़ी-बहुत सफलता प्राप्त कर सकती है।
यह भी निश्चित है कि कांग्रेस जितने भी वोट काटेगी, आम आदमी पार्टी के ही काटेगी। कांग्रेस भी दिल्ली के मुस्लिम व सिख वोटर्स को रिझाने का प्रयत्न कर रही हैं।
उधर शराब घोटाले में आम आदमी पार्टी के तमाम नेताओं की लिप्तता व जेल जाने से भी पार्टी की ईमानदारी की छवि समाप्त हो गई है।
साथ ही महिलाओं के लिये नगद धनराशि देने की घोषणा केजरीवाल आज तक पूरी नहीं कर पाये, यमुना आज तक साफ नहीं कर पाये। मुफ्त बिजली का लाभ भी किराये के मकान में रहनेवाले तमाम परिवारों को नहीं मिल रहा। तमाम इलाकों में पानी की समस्या भी बनी रहती है। गर्मी के दिनों में टैंकर से पानी सप्लाई की जाती है, जो अपर्याप्त होती है, उल्टे टैंकर माफिया सक्रिय हो जाते हैं।
इन सब कारणों की वजह से पार्टी को एंटी इन्कंबेंसी का भी सामना करना पड़ रहा है। इन्हीं सब बातों के कारण केजरीवाल येन केन प्रकारेण दिल्ली के वोटर्स को अपने पक्ष में रहने के लिये लुभा रहे हैं, साथ ही भाजपा के आने पर दिल्ली वालों को डर भी दिखा रहे हैं। सनातन धर्म के कुछ संतों को साथ लेकर और हिन्दू पुजारियों को वेतन देने का वादा करके हिंदुत्व के हिमायती होने का दिखावा भी कर रहे हैं। यह दीगर बात है कि वह मस्जिद के मुल्लाओं को भी वेतन नहीं दे पा रहे हैं।
इन सब बातों से स्पष्ट है कि दिल्ली में आम आदमी पार्टी की जमीन पूरी तरह से हिली हुई है।
चुनाव प्रचार के तीन दिन शेष रह गये हैं। तीन तारीख की शाम को चुनाव प्रचार थम जायेगा। देखने वाली बात यह है कि शेष तीन दिनों में केजरीवाल और कौन-कौन से पैंतरे दिखाते हैं। फिर भी इसका नाम चुनाव है। दिल्ली के वोटर्स का कुछ नहीं पता किसके बहकावे में आ जाये। निम्न वर्ग व निम्न मध्यम वर्ग के वोटर्स पहले भी मुफ्त बिजली पानी के नाम पर केजरीवाल को जिता चुके हैं। यद्यपि इस बार ऐसे किसी करिश्मे की उम्मीद तो नहीं है, लेकिन असली निर्णय तो वोटर्स को ही लेना है, जो वह पॉंच तारीख को ईवीएम का बटन दबाकर कर देंगे।
आने वाली आठ फरवरी आम आदमी पार्टी और केजरीवाल का भविष्य तय कर देगी।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
2. अंततः दिल्ली आपदा से मुक्त हो गई
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अंततः दिल्ली में आम आदमी पार्टी का किला ध्वस्त हो ही गया। दिल्ली वालों ने भारतीय जनता पार्टी को बंपर सीटें जिताकर केजरीवाल का वह भरोसा भी तोड़ दिया जो वह अपनी रैलियों में सीना ठोककर कहते थे कि उनकी पार्टी को दिल्ली में चुनाव में कोई नहीं हरा सकता।
यद्यपि उनका यह विश्वास निराधार भी नहीं था, क्योंकि दिल्ली की जनता ने इस बार भी उनकी पार्टी को 22 सीटों पर जीत दिलाई है, और यदि कांग्रेस गठबंधन से अलग होकर चुनाव नहीं लड़ी होती तो यह आंकड़ा बहुमत के आस पास होता, और फिर से दिल्ली में केजरीवाल सरकार ही बनती।
फिर भी आम आदमी पार्टी के दिग्गज नेताओं और खुद केजरीवाल को हराकर दिल्ली की जनता ने स्पष्ट संदेश दिया है कि जनता अब नकारात्मक राजनीति को पसंद नहीं करती।
केजरीवाल भ्रष्टाचार के विरुद्ध जंग के उद्देश्य को लेकर एक कट्टर ईमानदार नेता की छवि के साथ राजनीति में आये थे, और दिल्ली की जनता को फ्री की बिजली और पानी देने के वादे के कारण जनता ने उन्हें दिल्ली की गद्दी पर बिठाया था। फ्री बिजली और पानी देने के वादे को उन्होंने काफी हद तक पूरा भी किया, इसके बाद 2020 में महिलाओं को डीटीसी की बसों में मुफ्त यात्रा, जैसे कुछ अन्य वादों के कारण पुनः दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुए।
यद्यपि इस बार भी उन्होंने ऐसे ही लोक लुभावन वादों की झड़ी लगा दी थी, और जनता को यह भी डराया कि अगर उनकी सरकार नहीं आयी तो जितनी सुविधाएं उन्होंने दिल्ली वालों को दी हैं, भाजपा सरकार सब बंद कर देगी।
लेकिन इस बार स्वयं मोदी जी ने चुनाव की कमान संभाल रखी थी। उन्होंने निरंतर अपनी रैलियों में कहा कि कोई सुविधा बंद नहीं होगी। कोई झुग्गी नहीं गिराई जाएगी, झुग्गी वालों को पक्का मकान दिया जाएगा। केजरीवाल ने महिलाओं को ₹2100 देने का वादा किया तो भाजपा ने ₹2500 देने का वादा कर दिया।
इसी के साथ साथ भाजपा ने केजरीवाल सरकार के मंत्रियों की शराब घोटाले में लिप्तता के। कारण जेल जाने और वर्तमान में भी जमानत पर होने का हवाला दिया। खुद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया शराब घोटाले में जेल में रहे और अब भी जमानत पर हैं। साथ ही साथ भाजपा ने केजरीवाल द्वारा अपने शीशमहल को तमाम राजसी ठाट-बाट की सुविधाओं से युक्त करने और उसमें भी भ्रष्टाचार करने के प्रकरण को भी खूब प्रचारित किया।
केजरीवाल द्वारा इन सब आरोपों पर तथ्यपरक सफाई देने के स्थान पर उल्टे प्रधानमंत्री व संवैधानिक संस्थाओं के प्रति अनर्गल व बदतमीजी की भाषा प्रयुक्त करना भी जनता को पसंद नहीं आया। केजरीवाल जो इस वादे के साथ राजनीति में आये थे कि मुख्यमंत्री बनने के बाद वह भव्य सरकारी आवास नहीं लेंगे, सरकारी गाड़ी और अन्य सुविधाएं नहीं लेंगे, सरकारी सुरक्षा नहीं लेंगे, उन्होंने आज अपने लिए शीशमहल बनवाने में करोड़ों रुपए खर्च कर दिया, सरकारी गाड़ी और जेड प्लस सुरक्षा भी उनके साथ हर समय रहती है। जनता से किए तमाम वादों को वह यह कहकर टालते रहे कि केन्द्र सरकार उन्हें काम नहीं करने दे रही, एल जी काम नहीं करने दे रहे आदि आदि। हद तो तब हो गई जब दिल्ली में पानी की किल्लत पर चुनाव प्रचार के दौरान उन्होंने ये कहा कि हरियाणा सरकार ने यमुना में ऐसा जहर मिला दिया है जो वाटर प्यूरीफिकेशन संयंत्र द्वारा साफ नहीं किया जा सकता था और उन्होंने यमुना का पानी दिल्ली में आने से रोक दिया। और अगर यह पानी दिल्ली में आ जाता तो भयंकर जेनोसाइड हो जाता। उनके ऐसे बेतुके झूठ से दिल्ली की जनता का मोहभंग हो गया।
दूसरी ओर भाजपा निरंतर तीसरी बार केन्द्र में सरकार में है, तमाम जनहितकारी योजनाएं भाजपा द्वारा सफलता पूर्वक संचालित की जा रही है और समाज के सभी वर्ग उनका लाभ उठा रहे हैं, जिस कारण देश भर में प्रधानमंत्री मोदी जी की विश्वसनीयता बढ़ी है।
आम आदमी पार्टी की सरकार के कारण दिल्ली वासी इन योजनाओं का भी लाभ नहीं उठा पा रहे थे। इन्हीं सब कारणों से प्रधानमंत्री मोदी जी की गारंटी केजरीवाल के वादों पर भारी पड़ी।
भाजपा को प्रचंड बहुमत देकर दिल्ली वालों ने नकारात्मक राजनीति करने वालों को पूरी तरह से नकार दिया है। केजरीवाल की मुसीबतें अब शुरू होनेवाली हैं दिल्ली में सरकार बनने के बाद CAG की रिपोर्ट भी विधानसभा के पटल पर रखी जाएगी, साथ ही साथ केजरीवाल सरकार के अन्य विभागों के क्रियाकलाप की भी विस्तृत जांच की जाएगी और संबंधित नेताओं व अधिकारियों के विरुद्ध कार्यवाही की जाएगी, जिससे स्पष्ट है कि आनेवाले दिन सर जी के लिए अच्छे नहीं रहेंगे। लगता है कि दिल्ली वालों की आपदा अब सर जी की आपदा बन जाएगी।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
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