महाकुंभ: सामाजिक समरसता का उत्सव
महाकुंभ: सामाजिक समरसता का उत्सव
महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन डुबकी लगाने के लिये आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है। वस्तुत: यह सनातन चेतना की जागृति का परिणाम है, जो हिन्दू सोया पड़ा था उसकी जागृति तो काशी में विश्वनाथ धाम तथा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से ही शुरू हो गयी थी, यदि कुछ चेतना अब भी सुप्त थी तो वह महाकुंभ के इस अवसर पर जागृत हो गयी। निरंतर मीडिया से जानकारी मिल रही थी कि यह महाकुंभ 144 वर्ष में आया है, और हमारी पीढ़ी अत्यंत सौभाग्यशाली है जिसे इस महाकुंभ का हिस्सा बनने का अवसर मिला है। इसके बाद महाकुंभ 144 वर्ष बाद 2169 में आयेगा, तब तक 3-4 पीढ़ियां निकल जायेंगी। महाकुंभ की चाक चौबंद व्यवस्था की जानकारी और फोटोज भी मीडिया निरंतर दिखा रहा है। इन सब कारणों से श्रद्धालुओं में अत्यंत उत्साह है।
वस्तुतः कुंभ हमारी सामाजिक समरसता का महानतम उत्सव है। सरकार का काम तो केवल प्रबंधन है, अन्यथा सरकार व्यवस्था न करती तब भी लोग महाकुंभ में आते और स्नान करते। व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है, जो वह पूरृण कुशलता के साथ कर रही है।
कुंभ में ही वास्तविकता में सनातन संस्कृति के दर्शन होते हैं। न वर्ण भेद, न ऊंच नीच, न छुआछूत। गंगा मैया सबको अपने अंक में समान रूप से प्यार से स्नान कराती है, तन का मन का मैल धो देती है, भीतर बाहर की गर्मी दूर कर अंतर्मन तक को शीतल कर देती है।
प्रत्येक विराट आयोजन में कुछ न कुछ विघ्न बाधाएं भी आती ही हैं। सारी व्यवस्थाएं चाक चौबंद थीं। मौनी अमावस्या को स्नान हेतु कुंभनगरी में निरंतर तीर्थयात्री आ रहे थे। श्रद्धालु 7-8 किलोमीटर सिर पर सामान लादे पैदल चलते चलते संगम की ओर बढ़ते जा रहे थे। सबकी इच्छा ब्रहृम मुहूर्त में संगम में डुबकी लगाने की थी, साथ ही अखाड़ों की शोभायात्रा देखने की लालसा में लोगबाग बैरीकेडिंग के सहारे खड़े हो गये । कुछ श्रद्धालु ब्रह्म मुहूर्त के इंतजार में तट पर ही सो गये थे। पीछे से श्रद्धालु निरंतर आ रहे थे। ऐसे में अचानक बैरीकेडिंग टूटने से भगदड़ मच गई। लोग नीचे गिरने लगे और उठ पाते इससे पहले ही भीड़ में दब गये। लेकिन प्रशासन की तारीफ करनी होगी जिसने स्थिति को सीमित समय में नियंत्रित कर लिया। घायलों को त्वरित रूप से अस्पताल पहुंचाया गया। कुंभ में श्रद्धालुओं में व्यापक रूप से भगदड़ न मचे, इसे दृष्टिगत रखते हुए भगदड़ की खबरों को भी नियंत्रित किया गया। श्रद्धालुओं से स्वयं मुख्यमंत्री जी ने अपील की कि संगम नोज तक न आकर रास्ते में जो भी घाट पड़े वहां स्नान कर लें। इस प्रकार धीरे-धीरे स्थिति पूर्णतः नियंत्रण में आ गयी। फिर अखाड़ों का स्नान भी हुआ। स्नान करके श्रद्धालु वापस अपने गंतव्य की ओर लौटने लगे। अखाड़ों का स्नान भी विधिपूर्वक संपन्न हुआ।
इस घटना के बाद भी श्रद्धालु निरंतर आते जा रहे हैं और डुबकी लगाकर आनंदित हो रहे हैं। कुछ ही घंटों पहले हुई घटना से पूर्णतः निरपेक्ष। कुंभ के अवसर पर भगदड़ की घटनाएं स्वाभाविक ही हैं। प्रत्येक कुंभ में एक दो घटनाएं ऐसी हो ही जाती हैं। कुछ श्रद्धालुओं के प्राण चले गये, उनके प्रति सभी के ह्रदय व्यथित और आंखें नम हैं। शासन की ओर से 25 25- लाख की आर्थिक सहायता भी उन परिवारों को देने की घोषणा की गयी है, यद्यपि यह भी सत्य है कि कोई भी आर्थिक सहायता व्यक्ति की कमी को पूरा नहीं कर सकती है। स्वयं प्रधानमंत्री जी व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी भी इस घटना से व्यथित हैं। हम ईश्वर से यही प्रार्थना कर सकते हैं कि सभी दिवंगत आत्माओं को सद्गति दें।
इस पूरे घटनाक्रम के बावजूद महाकुंभ निरंतर अपनी गति से चल रहा है, स्नान निरंतर जारी है। कहते हैं न कि शो मस्ट गो ऑन। किसी भी परिस्थिति में प्रकृति नहीं रुकती, महाकुंभ भी प्रकृति से जुड़ा हुआ सांस्कृतिक उत्सव है, और अपनी पूर्ण भव्यता के साथ जारी है।
आज इस सनातन उत्सव से पूरा विश्व चमत्कृत है।
यहॉं विधर्मी भी संगम में डुबकी लगा कर आनंदित हो रहे हैं। कुंभ में कोई द्वेष, विद्वेष नहीं है।
यहीं तो सनातन संस्कृति कहती हैं: विश्व का कल्याण हो, प्राणियों में सद्भावना हो, सर्वे भवन्तु सुखिनः, सर्वे सन्तु निरामया, सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मां कश्चिद दुख भाग्भवेत।
अभी कुंभ में तीन अमृत स्नान और होने हैं। 26 फरवरी शिवरात्रि के अवसर पर अंतिम शाही स्नान होगा। परमात्मा से यही प्रार्थना है कि अब कुंभ में ऐसी कोई घटना न हो और महाकुंभ अपनी पूर्ण भव्यता के साथ 26 फरवरी को संपन्न हो।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
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