वीरों का वंदन : समीक्षा

वीरों का वंदन, पुलवामा के शहीदों को समर्पित कृति।

हर सैनिक के शुभ मस्तक पर मैं टीका चन्दन करती हूँ,
हो गये शहीद वतन पर जो, हम उन्हें भूल न पायेंगे,
पुलवामा अमर शहीदों को यह कलम समर्पित करती हूँ।
ये पंक्तियां पुलवामा के शहीदों के सर्वोच्च बलिदान की पहली पुण्यतिथि पर लोकार्पित, डा• रीता सिंह द्वारा रचित काव्य संग्रह वीरों का वंदन से उद्धृत की गयी हैं।
दिनांक 14.02.2020 को चंदौसी में पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित वृहद कार्यक्रम में इस कृति का लोकार्पण हुआ। डा• रीता सिंह के शब्दों में 'इस काव्य संग्रह में प्रस्फुटित मेरे भाव देश के उन सभी जवानों को श्रद्धांजलि है, जो भारत माँ के लिये अपने जीवन की बीच राह में अर्पित हो गये। बासंती उल्लास के मास में पुलवामा में अचानक हुए आतंकी हमले में जब देश ने अचानक एक साथ चालीस वीर सपूतों को खो दिया तब उनके लिये मेरे ह्रदय में उमड़े भावों ने कविता के रूप लेकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने की अभिलाषा व्यक्त की, जिसके फलस्वरूप इस लघु काव्य संग्रह की उत्पत्ति हो सकी।'
वीरों का.वंदन पच्चीस छोटी बड़ी कविताओं का संग्रह है। प्रारंभिक कविताएं भारती के सैनिकों के साहस, समर्पण और.शौर्य को परिभाषित करती हैं, तदुपरांत शहीदों की शहादत के बाद देश, समाज, परिवार और प्रकृति के मनोभावों और प्रभाव को परिभाषित करती हुयी रचनाएं हैं।
सभी कविताओं की भाषा अत्यंत सरल और सामान्य बोलचाल की भाषा है। कहीं कहीं छंदबद्धता का अभाव है यद्यपि कविताएं गेय हैं। कुछ रचनाओं को उद्धृत करना चाहूँगा। यथा:
कलम तुम गाओ उनके गान, तिरंगे की जो रखते आन।
मातृभूमि पर बिन आहट ही, हुए न्योछावर जिनके प्राण।
कलम तुम गाओ उनके गान।
ये पंक्तियां पाठक के मन में सहज ही वीरों और शहीदों के प्रति अत्यंत श्रद्धा का भाव जागृत करने में सक्षम हैं।
एक अन्य रचना देखिए:
रंगा वीरों के लहू बसन्त।
गन्ध फूलों से चली गयी, किरण को भाती नहीं कली,
भोर शोक गीतों को गाये, सबके साथ दुखन्त।
रंगा वीरों के लहू बसन्त।
इस गीत की पंक्तियां शहादत की उस घटना का जीवंत चित्र पाठक के मनस्पटल पर उकेर देतीं हैं और घटना की भयावहता तथा एक साथ इतने वीरों का बिना किसी प्रतिरोध का अवसर पाये चले जाना, पाठक के मन में क्षोभ के साथ साथ आक्रोश भी भर देता है।
इसी के साथ साथ पुलवामा हमले के बाद भारत की ओर से जबाबी कार्यवाही को संदर्भित करते हुए ये रचना:
'अगर पीठ पर वार करेगा, मुँह की हमसे खायेगा।
रौंदा दुश्मन को ऐसा है, उठा न सर अब पायेगा।'
भी पाठकों के मन में जोश भरती है, और सेना के प्रति विश्वास व सम्मान के भावों को बलवान करती है।
वहीं शहीदों के परिवारों व परिजनों की मनोदशा, व साहस को दर्शाती ये रचना भी सैनिकों के सर्वोच्च बलिदान के साथ साथ उनके परिजनों के साहस और त्याग को अभिव्यक्त करती है:
न बेचारी, न दुखियारी, नारी हिम्मत वाली है।
जिस के माथे की बिंदी, करे देश की रखवाली है।।
कुल मिलाकर सभी रचनाएं सैनिकों के शौर्य, साहस और बलिदान, तथा देशप्रेम व देश के लिये त्याग की भावना को बलवती बनाने में सक्षम हैं।
रचनाओं के बाद पुलवामा के सभी शहीदों का नाम व पता भी उल्लिखित किया गया है। यह जानकारी भी अत्यंत महत्वपूर्ण है।
डा• रीता सिंह का यह काव्य संग्रह पुलवामा की उस ह्रदय विदारक घटना जीवंत दस्तावेजी स्मारक बन गया है, जिसके लिये डा• रीता सिंह बधाई की पात्र हैं।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
18.02.2020

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