लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी।
लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी।
दिनांक 13.दिसंबर के संपादकीय 'चलिए गतिरोध तो टूटेगा' में आदरणीय वत्स जी ने सही लिखा है कि राहुल गांधी सहित समस्त विपक्ष संसद में कोई चर्चा होने ही नहीं देना चाहता हैं। यही कारण है कि संसद की कार्यवाही शुरु होते ही वह शोर शराबा शुरु कर देते हैं और कार्यवाही नहीं चलने देते। कांग्रेस तो वही घिसा पिटा विषय लेकर हंगामा करती जा रही है। अडाणी पर चर्चा के साथ साथ उन्होंने संविधान का विषय भी उठा दिया। वह समझते थे कि सरकार इस विषय को भी गंभीरता से नहीं लेगी, लेकिन सरकार ने संविधान पर चर्चा को मान लिया तथा दिनांक 13 और 14 दिसंबर संविधान पर चर्चा के लिये तय हुए। चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान को हाईजैक करने की कोशिश करती है, पीढ़ियों से कांग्रेस के नेताओं ने संविधान को परिवार की जेब में ही रखे देखा है, यही वजह है कि हम जहां संविधान को माथे से लगाते हैं विपक्ष के नेता उसे जेब में लेकर चलते हैं। कांग्रेस परिवार की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद में अपना पहला भाषण देते हुए कहा संविधान देश का सुरक्षा कवच है लेकिन बीते दस साल में सत्ता पक्ष ने इस सुरक्षा कवच को तोड़ने का पूरा प्रयास किया है। उन्होंने कहा लोकसभा चुनाव में सरकार हारते हारते जीती और कम सीटें आयीं, यही वजह है कि आज सरकार नारी शक्ति, गांव और गरीब की बात कर रही हैं। अगर लोकसभा चुनाव में अपेक्षानुरूप नतीजे आ गये होते तो सरकार संविधान बदलने का काम शुरू कर चुकी होती। उन्होंने जाने अन्जाने आपातकाल को पहली बार गलती मानते हुए कहा कि अगर आपातकाल गलती है तो आप इससे सीखते क्यों नहीं।
आज विपक्ष के नेता के तौर पर राहुल गांधी का संबोधन हमेशा की तरह दिशाहीन सा लगा। उन्होंने सावरकर का संदर्भ देते हुए कहा कि भाजपा का संविधान मनु स्मृति से चलता है। द्रोणाचार्य और एकलव्य का प्रसंग सुनाकर वह यह कहने की कोशिश कर रहे थे कि सरकार छोटी जाति वालों का शोषण करती है और अडाणी जैसों को संरक्षण देती है। सरकार मनु स्मृति के अनुसार चल रही है जबकि देश संविधान के अनुसार चलेगा।
लेकिन राहुल गांधी यह क्यों भूल जाते हैं कि संविधान की धज्जियां स्वयं उन्हीं की पार्टी ने उड़ाई हैं। संविधान की प्रस्तावना में गुपचुप तरीके से बिना केबिनेट, बिना संसद में पास हुए सेकुलर शब्द जोड़ देना क्या संविधान सम्मत था। प्रधानमंत्री के चुनाव पर विपक्षी की याचिका को न्यायालय द्वारा मानकर प्रधानमंत्री के विरुद्ध निर्णय सुनाने पर देश में आपातकाल थोप देना क्या संवैधानिक था। अनुराग ठाकुर ने संसद में राहुल गांधी को सही जबाब दिया कि संविधान जेब में लेकर घूमने वाले संविधान खोलकर पढ़ते नहीं। संविधान की धज्जियां तो स्वयं उन्हीं की पार्टी ने उड़ाई हैं।
दो दिन की बहस का पटाक्षेप प्रधानमंत्री मोदी के संबोधन से हुआ। राहुल गांधी ने स्वयं सरकार को मौका दे दिया।
संसद में आज प्रधानमंत्री मोदी ने अत्यंत संतुलित ढंग से चर्चा का जबाब दिया। प्रधानमंत्री जी ने संविधान से संबंधित एक एक घटना का हवाला देते हुए जबाब दिया और कायदे में तो राहुल बाबा को आज के प्रधानमंत्री जी के संबोधन के बाद संविधान संविधान कहना भूल जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री जी ने कहा:
कुछ लोग विविधता में विरोधाभास ढूंढते हैं।
संविधान देश की एकता में सहायकहै।
संविधान जब 25 वर्ष का हुआ, कांग्रेस ने संविधान को नोच लिया।
देश में आपातकाल लगाया गया, संवैधानिक व्यवस्थाओं को समाप्त कर दिया गया, देश को जेलखाना बना दिया गया।
दुनिया में जब जब लोकतंत्र की चर्चा होगी, कांग्रेस के इस पाप को याद किया जाएगा।
कांग्रेस के एक परिवार ने संविधान को चोट पहुॅंचाने में कोई कसर नहीं छोड़ी।
हर स्तर पर इस परिवार ने संविधान को चुनौती दी।
1951 में चुनी हुई सरकार नहीं थी, फिर भी संविधान बदलने हेतु अध्यादेश लाया गया। ये संविधान निर्माताओं का घोर अपमान है। नेहरू ने अभिव्यक्ति की आजादी पर हथौड़ा चलाया।
अगर संविधान हमारे रास्ते के बीच में आ जाये तो हर हाल में संविधान में संशोधन करना चाहिए पंडित नेहरू ने कहा। राष्ट्रपति, लोकसभाध्यक्ष आदि सबने मना किया किंतु उन्होंने नहीं माना और संविधान संशोधन किया।
संविधान संशोधन का ऐसा खून कांग्रेस के मुंह को लग गया कि वह बार बार संविधान को बदलती रही।
इंदिरा गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले को पलट दिया।
इंदिरा गांधी ने अदालतों के पंख काट दिये।
जब अदालत ने उनका चुनाव खारिज कर दिया, उनकी सदस्यता व प्रधानमंत्री पद खतरे में आया तो उन्होंने इमरजेंसी लगाकर संविधान का गला घोट दिया।
परंपरा यहीं नहीं रुकी।
राजीव गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के शाहबानो केस में पारित आदेश को संसद द्वारा निरस्त कर दिया। संविधान द्वारा प्रदत्त समानता के अधिकार को छीन लिया गया।
अगली पीढ़ी भी इसी मिशन में लगी है।
सोनिया गांधी ने इतिहास में पहली बार प्रधानमंत्री के ऊपर नेशनल एडवाइजरी काउंसिल बिठा दी।
राहुल जी ने संविधान के तहत चुनी सरकार के द्वारा संसद में पारित अध्यादेश को प्रेस के सामने फाड़ दिया। एक अहंकारी व्यक्ति केबिनेट के निर्णय को फ़ाड़ दे और केबिनेट का फैसला बदल दे, ये कौन सी व्यवस्था है।
कांग्रेस द्वारा 35- A संसद में लायें बिना देश पर थोप दिया था।
यदि 35-A नहीं होता तो कश्मीर की यह हालत नहीं होती।
बाबा साहेब अंबेडकर यूनीफार्म सिविल कोड लाना चाहते थे। वह नहीं होने दिया।
कांग्रेस ने OBC आरक्षण रोकने का पाप किया। कांग्रेस मुसलमानों को आरक्षण देने का निर्लज्ज प्रयास कर रही है।
कांग्रेस अपनी ही पार्टी का संविधान भी नहीं मानती।
कांग्रेस के लिए संविधान पवित्र ग्रंथ नहीं।
प्रधानमंत्री मोदी जी ने कहा हमने संविधान दिवस पर हाथी पर संविधान को सुशोभित करके स्वयं प्रधानमंत्री उसके सम्मुख पैदल चलते हुए संविधान यात्रा निकाली। ये इशारा राहुल गांधी की ओर था जो जेब में संविधान लिये फिरते हैं।
संविधान का सम्मान करते हुए अटल जी ने तेरह दिन की सरकार छोड़ दी, 1998 में 1 वोट से सरकार गिरने दी। खरीद फरोख्त नहीं की, संविधान का सम्मान किया।
हमने भी संविधान संशोधन किया, हमने डंके की चोट पर 370 हटाई, OBC कमीशन को संवैधानिक दर्जा दिया।
हमने जो संशोधन किये वह पुरानी गलतियां सुधारने के लिये किये।
ये हमारा इतिहास है, हमारी परंपरा है।
हमारे लिए संविधान सर्वोपरि है।
प्रधानमंत्री जी ने आज गिन गिन कर कांग्रेस को आईना दिखाया और विपक्ष चुप बैठा रहा। अगर विपक्ष में थोड़ी भी शर्म है तो अब संविधान संविधान चिल्लाना बंद कर देना चाहिए।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
Comments
Post a Comment