तालाबंदी में शादी

दोस्तों घर में बंद हुए आज बारहवां दिन है। हम सब घर में ही कैद हो गये हैं। न गोष्ठियां हो पा रही हैं न आयोजन। महामारी की गंभीरता ने मानो घरों में बंद लोगों की मुस्कुराहट छीन ली है। इसीलिये आज की गोष्ठी में प्रस्तुत है आजकल के ही हालात पर एक हास्य रचना।

तालाबंदी में शादी
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कोरोना के कारण हर सूँ पाबंदी है।
गली मुहल्ले गाँव शहर तालाबंदी है।
मेले टेले आयोजन सब रद्द हुए हैं।
घर से बाहर जाने पर भी पाबंदी है।

जिनके घर शादी की बजनी थी शहनाई।
तालाबंदी ने उनकी भी बाट लगाई।।
कार्ड बँट चुके थे बुक थे नाई, हलवाई।
शादी वाले दिन ये कैसी आफत आई।
घोड़ी, बाजा, बैंड, बराती सजे खड़े थे।
तालाबंदी ने सबकी ही बैंड बजायी।।
घर से बाहर जाने पर भी पाबंदी है।
कैसे चढ़े बरात महाँ तालाबंदी है।

दूल्हा दुल्हन व्हाट्सएप पर उधर मस्त थे।
और निराशा में घरवाले इधर पस्त थे।
पंडित जी बोले ये अच्छा सगुन  नहीं है।
सात महीने से पहले अब लगन नहीं है।
घरवाले कोशिश में थे कि बात बन जाए।
जैसे भी हो किसी तरह शादी हो जाए।

जैसे तैसे शादी की परमीशन पायी।
किंतु पाँच लोगों की उसमें शर्त लगायी।
सामाजिक दूरी का भी पालन करना था।
बिन बाजा बारात, अजब शादी करवायी।

जीजा फूफा यारों का मुँह फूल गया था।
फोटोग्राफर भी उदास सा खड़ा हुआ था।
बिन बारात वीडियो अच्छा नहीं बनेगा।
बोतल थी खामोश कि ढक्कन नहीं खुलेगा।
जरा बताओ कैसे नागिन डाँस चलेगा।
नारीशक्ति उदास, कौन उनको देखेगा।

सच में लॉकडाउन की शादी बड़ी गजब थी।
बाजे वालों की चिंता भी बड़ी अजब थी।
सबकी बैंड बजाई, खुद की आज बजी है।
लॉकडाउन में अब तक, घोड़ी नहीं सजी है।
उधर पार्लर में दुल्हन भी अड़ी पड़ी.थी।
मैचिंग मास्क लगाओ उसने जिद पकड़ी थी।

बिन बरात बस पाँच जने मंडप में आये
दूल्हा दुल्हन सीधे फेरों पर ही आये।
गंगाजल की जगह सेनेटाइईजर लाये।
पंडित जी ने उससे सबके हाथ धुलाए।
जयमाला के हार छड़ी से ही पड़वाये।
जैसे तैसे पंडित ने फेरे करवाये।
दूल्हा दुल्हन दो मीटर की दूरी पर थे।
और बराती बालकनी से देख रहे थे।

घंटे भर में रस्म निभाकर विदा कराई
निपटी शादी साँस चैन की सबको आई
दूल्हा दुल्हन की जोड़ी जब घर में आई।
अलग अलग खटिया दोनों की गयी बिछाई।
हनीमून की टिकटें बुक थीं रद्द करायी।
इस कोरोना ने शादी की बाट लगायी।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
मोबाइल 9456641400.

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