कब तक घर में बंद रहूँगा।

कब तक घर में बंद रहूँगा।
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छोटू पापा से ये बोला, कब तक घर में बंद रहूँगा
बैठे बैठे ऊब गया हूँ, कब बाहर जाकर खेलूंगा।

पापा ने उसको समझाया, बाहर जाने में खतरा है।
बाहर कोरोना का संकट, जाने कहाँ कहाँ पसरा है।
कुछ दिन घर में बंद रहेंगे, इसकी कड़ी टूट जाएगी।
बाहर आने जाने पर से, पाबंदी भी हट जाएगी।
तो क्या मैं घर के अंदर ही, निपट अकेला पड़ा रहूँगा।
बैट बॉल, से दूर बताओ, घर में कब तक सड़ा रहूँगा।

घर में कहाँ अकेले हो तुम, मैं भी तो हूँ, मम्मी भी हैं।
घर में रहकर खेल खेलने, के कितने ही साधन भी हैं।।
कुछ दिन हमको दोस्त समझ लो, लूडो, बिजनैस, कैरम खेलो।
जब चाहे साथी बच्चों से, तुरत वीडियो चैटिंग कर लो।।
मान गया छोटू फिर बोला, अच्छा घर में ही खेलूँगा।
रोज हराऊँगा दोनों को, घर में तो मैं ही जीतूँगा।

श्रीकृष्ण शुक्ल,
MMIG-69,
रामगंगा विहार, मुरादाबाद।
मोबाइल नं.9456641400

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