कैसी आफत कोरोना

कैसी आफत कोरोना
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कैसी आफत कोरोना, चहुँ दिशि है इसका रोना।
अब तो बस घर में रह कर, लंबी ताने है सोना।

घर में भी आराम नहीं, घर में कोई काम नहीं।
घर में रहना मुश्किल है, खाने को भी दाम नहीं।
जाने अब कितने दिन तक, पानी पीकर है सोना।

पाबंदी मजबूरी है, जीवन बड़ा जरुरी है।
किंतु भूख भी हावी है, बंद पड़ी मजदूरी है।
ऐसे भी तो है मरना, फिर काहे का है रोना।

फसलें हैं तैयार खड़ी, कैसी विपदा आन पड़ी
खेतों में यदि सूख गईं, खाओगे क्या फिर लकड़ी।
किंचित सोचो क्या सबको, सालों भूखे है सोना।

ईश्वर पालनकर्ता है, वो ही सबका भर्ता है।
श्वास श्वास बस याद रखो, पग पग संकट हर्ता है।
तुम क्यों चिंता करते हो, होने दो जो है होना।

पाबंदी का मान करो, मास्क लगाकर काम करो।
सामाजिक दूरी का तुम, हर पल हर क्षण ध्यान करो
अनुशासित हो जाओगे, मिट जाएगा कोरोना।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

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