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Showing posts from October, 2025

हमें श्री राम सरीखा बनना होगा।

 हमें श्री राम सरीखा बनना होगा। विजयादशमी का पर्व हम सभी ने धूमधाम से मनाया, इस पर्व को दशहरा भी कहा जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की‌ विजय का पर्व है। विजयादशमी के दिन ही श्री राम ने लंकेश रावण का वध किया था। वह लंकेश जो परम विद्वान था, वेद शास्त्रों का ज्ञाता महान पंडित, ब्राह्मण था, पृथ्वी पर सर्वाधिक बलवान था, जिसने नव गृहों को भी अपना बंदी बना लिया था, जिससे देवता भी भय खाते थे, भला उस रावण का वध करने की श्री राम को क्यों आवश्यकता पड़ी।  श्री रामचरितमानस में प्रभु श्री राम के जन्म के संदर्भ में लिखित एक दोहा ही रावण के वध के कारण को वर्णित करने के लिये पर्याप्त है। वह दोहा है: विप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुण गो पार।। उस समय पृथ्वी पर अत्याचारी दानवों का इतना आतंक था कि ब्राह्मण अपना पूजा पाठ भी नहीं कर सकते थे, रावण से संरक्षण प्राप्त राक्षस उनके यज्ञ विध्वंस कर देते थे, मारते पीटते थे, लूटपाट करते थे, सुंदर स्त्रियां भी सुरक्षित नहीं थीं। स्वयं रावण भी जिस पर मोहित हो जाता था उससे जबरन विवाह करना चाहता था। मयदानव की पुत्री मंद...

लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी।

 लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी। दिनांक 13.दिसंबर के संपादकीय 'चलिए गतिरोध तो टूटेगा' में आदरणीय वत्स जी ने सही लिखा है कि राहुल गांधी सहित समस्त विपक्ष संसद में कोई चर्चा होने ही नहीं देना चाहता हैं। यही कारण है कि संसद की कार्यवाही शुरु होते ही वह शोर शराबा शुरु कर देते हैं और कार्यवाही नहीं चलने देते। कांग्रेस तो वही घिसा पिटा विषय लेकर हंगामा करती जा रही है। अडाणी पर चर्चा के साथ साथ उन्होंने संविधान का विषय भी उठा दिया। वह समझते थे कि सरकार इस विषय को भी गंभीरता से नहीं लेगी, लेकिन सरकार ने संविधान पर चर्चा को मान लिया तथा दिनांक 13 और 14 दिसंबर संविधान पर चर्चा के लिये तय हुए। चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान को हाईजैक करने की कोशिश करती है, पीढ़ियों से कांग्रेस के नेताओं ने संविधान को परिवार की जेब में ही रखे देखा है, यही वजह है कि हम जहां संविधान को माथे से लगाते हैं विपक्ष के नेता उसे जेब में लेकर चलते हैं। कांग्रेस परिवार की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद में अपना पहला भाष...

महाकुंभ: सामाजिक समरसता का उत्सव

 महाकुंभ: सामाजिक समरसता का उत्सव महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन डुबकी लगाने के लिये आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है।  वस्तुत: यह सनातन चेतना की‌ जागृति का परिणाम है, जो हिन्दू सोया पड़ा था उसकी जागृति तो काशी में विश्वनाथ धाम तथा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से ही शुरू हो गयी थी, यदि कुछ चेतना अब भी सुप्त थी तो वह महाकुंभ के इस अवसर पर जागृत हो गयी। निरंतर मीडिया से जानकारी मिल रही थी कि यह महाकुंभ 144 वर्ष में आया है, और हमारी पीढ़ी अत्यंत सौभाग्यशाली है जिसे इस महाकुंभ का हिस्सा बनने का अवसर मिला है। इसके बाद महाकुंभ 144 वर्ष बाद 2169 में आयेगा, तब तक 3-4 पीढ़ियां निकल जायेंगी। महाकुंभ की चाक चौबंद व्यवस्था की जानकारी और फोटोज भी मीडिया निरंतर दिखा रहा है। इन सब कारणों से श्रद्धालुओं में अत्यंत उत्साह है। वस्तुतः कुंभ हमारी सामाजिक समरसता का महानतम उत्सव है। सरकार का काम तो केवल प्रबंधन है, अन्यथा सरकार व्यवस्था न करती तब भी लोग महाकुंभ में आते और स्नान करते। व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है, जो वह पूरृण कुशलता के साथ कर रही है। कुंभ में ही वास्तविकता में सनातन ...

मिडिल क्लास के सपनों को पंख लगाने वाला बजट

 मिडिल क्लास के सपनों को पंख लगाने वाला बजट  ------------------------------- आज संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने यद्यपि बजट भाषण की शुरुआत करते हुए इसे महिलाओं व किसानों पर केंद्रित बजट बताया था, और बजट भाषण के दौरान भी जितनी घोषणाएं की जा रही थीं उनसे भी यही अनुमान लग रहा था कि बजट महिलाओं, किसानों, छोटे कारोबारियों को दृष्टिगत रखते हुए बनाया गया है। मध्यम वर्ग तथा उच्च आय वर्ग वालों की रुचि मुख्यतः बजट में आयकर दरों और मिलने वाली छूट तक सीमित रहती है। जो सामान्यतः बजट भाषण के अंत में की जाती हैं। बजट भाषण समाप्त होते होते भी वित्त मंत्री ने यह तो कहा कि आयकर का बिल लाकर नया कानून बनाया जायेगा। आयकर को आसान बनाया जायेगा। इससे यह लगा कि अभी आयकर में कुछ नहीं होगा और बिल का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन इसके तुरंत बाद ही वित्त मंत्री जी ने आयकर के संदर्भ में जो घोषणाएं करनी प्रारंभ कीं उससे आयकर देने वाले हम जैसे मध्य आय वर्ग वालों की खुशी का ठिकाना न रहा। वस्तुतः आयकर छूट की सीमा तो उम्मीद से भी अधिक बढ़ा दी गई है। अभी तक यह सात लाख थी और आशा की जा रही थी कि शायद सरकार इसे...

अंततः दिल्ली आपदा से मुक्त हो गई

1. दिल्ली चुनाव : आठ तारीख का इंतजार  दिल्ली में चुनाव की तारीख जैसे जैसे पास आती जा रही है वैसे वैसे आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार मर्यादा की सारी सीमाएं लांघता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रोज एक नया झूठा जुमला उछाल देते हैं। वस्तुतः केजरीवाल को भी अहसास हो गया है कि इस बार उनकी पार्टी का जीतना आसान नहीं है, यही कारण है कि वह निरंतर वोटर्स को डराने का उपक्रम कर रहे हैं, जैसे कि अगर भाजपा की सरकार आई तो उनकी जिंदगी मुश्किल हो जायेगी। मुफ्त की बिजली पानी बंद हो जायेगी, मुहल्ला क्लीनिक बंद हो जायेंगी, मुफ्त की जो सुविधाएं मिल रही हैं वह सब भाजपा सरकार बंद कर देगी।  सबसे बड़ा और अविश्वसनीय झूठ तो उन्होंने ये बोला कि हरियाणा में भाजपा सरकार ने यमुना के पानी में जहर मिला दिया और वह ऐसा जहरीला पानी था जो ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं निकाला जा सकता‌ था, इसलिए हमने उस पानी को दिल्ली में आने से रोक लिया। यदि ये पानी दिल्ली में घरों तक पहुंच जाता तो जेनोसाइड (नरसंहार) हो जाता। केजरीवाल का यह बयान खुद उनको ही उपहास का पात्र बना रहा है। य...

भीड़ की मानसिकता या रेलवे का गैरजिम्मेदाराना रवैया

 क्या थी हादसे की वजह : भीड़ की मानसिकता या रेलवे का गैरजिम्मेदाराना रवैया नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर हुई भगदड़ में 18 यात्रियों की जान चले जाने की घटना बहुत बड़ा प्रश्न चिन्ह रेलवे की कार्य प्रणाली पर भी लगाती है। भले ही रेलवे इसे भीड़ की मानसिकता के कारण हुई भगदड़ का मामला बताकर पल्ला झाड़ रहा हो, जिसे दो गाड़ियों (प्रयागराज एक्सप्रेस और प्रयागराज स्पेशल) के एक जैसे नाम होने के कारण प्लेटफार्म के अनाउंसमेंट के बाद उत्पन्न हुई भ्रम की स्थिति में यात्रियों की भीड़ द्वारा एक प्लेटफार्म से दूसरे प्लेटफार्म की ओर जाने के दौरान कुछ यात्रियों के गिरकर दब जाने के कारण होने वाला एक हादसा बताया जा रहा है। मीडिया की रिपोर्ट के अनुसार स्टेशन पर प्रयागराज जाने वाले यात्रियों की अत्यधिक भीड़ थी। प्रयागराज एक्सप्रेस प्लैटफॉर्म 14 से जानी थी, और उससे जाने वाले यात्री वहॉं जा रहे थे। तभी अनाउंसमेंट हुआ कि प्रयागराज स्पेशल प्लेटफार्म 16 से जाएगी। इससे भ्रमित होकर प्रयागराज एक्सप्रेस के यात्री भी प्लेटफार्म 16 की ओर दौड़े और संकरी सीढ़ियों पर कुछ लोगों के गिरने और दबने से हादसा हुआ जिसमें 18 यात्रिय...

ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है,

 ज़िन्दगी और कुछ भी नहीं, तेरी मेरी कहानी है, अलविदा मनोज कुमार जी, अलविदा  आज सुबह ही टीवी पर अपने समय के दिग्गज अभिनेता व निर्देशक मनोज कुमार के निधन का समाचार मिला, जो ह्रदय को क्षुब्ध कर गया। मनोज कुमार अपने समय के सशक्त और लोकप्रिय अभिनेता थे। उनकी मृत्यु आज प्रातः 3.30 बजे मुंबई के कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में हुई। इस समय उनकी आयु 87 वर्ष थी। उनका जन्‍म 13 जुलाई 1937 को ऐबटाबाद पाकिस्तान में हरिकिशन गिरि गोस्वामी के घर में हुआ था। विभाजन के समय उनका पर‍िवार दिल्ली आ गया था।  फिल्मों से उन्हें लगाव था ही, उन्हें अभिनय की प्रेरणा  फिल्म शबनम में दिलीप कुमार के किरदार से मिली, और वह मुंबई आ गये। उनके निधन से भारतीय फिल्म जगत ने एक ऐसी सशक्त शख्सियत को खो दिया जिनके स्थान की पूर्ति होना बहुत मुश्किल है। मनोज कुमार जी एक सशक्त अभिनेता ही नहीं थे, बल्कि  अभिनय के साथ साथ वह एक अच्छे निर्देशक भी थे। अपनी फिल्म उपकार के साथ ही उन्होंने देश भक्ति की पृष्ठभूमि को लेकर कई फिल्मों का निर्माण किया और उनकी ये सभी फिल्में अपने समय की सुपरहिट फिल्में रहीं। अपनी दे...

नरेन्द्र मोदी : एक जुझारू, साहसी व दृढ़ निश्चयी व्यक्तित्व ।

 नरेन्द्र मोदी : एक जुझारू, साहसी व दृढ़ निश्चयी व्यक्तित्व । आज हमारे प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र दामोदरदास मोदी जी का जन्म दिन है। पिछत्तर वर्ष पूर्व आज ही के दिन उनका जन्म गुजरात के वड़नगर में एक साधारण परिवार में हुआ था। आपके पिताजी वड़नगर के रेलवे स्टेशन पर चाय का स्टाल लगाते थे। किशोर अवस्था में मोदी जी भी अपने पिता के साथ प्लेटफार्म पर व गाड़ियों में चाय बेचने का कार्य करते थे। उस समय कौन जानता था कि एक निम्न मध्यम वर्ग के साधारण परिवार में जन्मा यह बालक आगे चलकर भारत का प्रधानमंत्री बनेगा। किंतु समय और भाग्य कब किस दिशा में ले जाए, कुछ कहा नहीं जा सकता, साथ ही यह भी सत्य है कि व्यक्ति का पुरुषार्थ उसे सदैव अपने कार्यक्षेत्र में सफलता दिलाता है और किसी भी परिस्थिति में अग्रणी बनाता है। यह बात मोदी जी पर शत् प्रतिशत सही दिखती है। छात्र जीवन में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की सदस्यता ग्रहण करके राष्ट्र की सेवा का संकल्प लिया, और संघ के प्रचारक का कठोर दायित्व ग्रहण किया। धीरे धीरे संघ में नयी जिम्मेदारियां मिलती गईं और उनका कुशलता से निर्वहन करते रहे। संघ से ही भाजपा में आये और अप...