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Showing posts from February, 2020

दिल्ली : क्यों जली

दिल्ली :क्यों जली। दिल्ली को सुलगाने की पटकथा शाहीन बाग में ही लिखी जा रही थी। पूरे शासन प्रशासन का ध्यान शांतिपूर्ण धरने पर लगा था जहाँ तिरंगा था, भारत माता की जय के नारे थे, बिरयानी थी और बंद सड़क थी। तमाम लोगों को परेशानी हो रही थी लेकिन उनकी चिंता न तो सरकार को थी, न पुलिस को और न ही सुप्रीम कोर्ट को। न्यायालय यह तो कह रहा था कि धरने की आड़ में आप सड़क बंद नहीं रख सकते लेकिन पुलिस को बलपूर्वक धरना खत्म कराने का निर्देश भी नहीं दे रहा था,  उल्टे धरनाधर्मियों से वार्ता करने के लिये लगातार प्रतिनिधि भेज रहा था। न्यायालय का काम ये कब से हो गया, ये समझ से परे है। धरने वाले लोगों ने इसे सरकार की, पुलिस की कमजोरी माना और यह भी जान लिया कि न्यायालय भी इस मामले में खुलकर हस्तक्षेप नहीं करेगा। इसी की आड़ में दंगे की पटकथा लिखी गयी। छतों पर पत्थर, पैट्रोल बम, आदि इकट्ठे किये गये और जब सारी तैयारी हो गयी तो जाफराबाद में भी सड़क पर धरना शुरू कर दिया गया। विरोध हुआ तो हिंसा शुरू कर दी गयी। यहाँ भी दो दिन तक पुलिस की निष्क्रियता ने उपद्रवियों का मनोबल और बढ़ा दिया जिसका नतीजा तीसरी रात में भयं...

वीरों का वंदन : समीक्षा

वीरों का वंदन, पुलवामा के शहीदों को समर्पित कृति। हर सैनिक के शुभ मस्तक पर मैं टीका चन्दन करती हूँ, हो गये शहीद वतन पर जो, हम उन्हें भूल न पायेंगे, पुलवामा अमर शहीदों को यह कलम समर्पित करती हूँ। ये पंक्तियां पुलवामा के शहीदों के सर्वोच्च बलिदान की पहली पुण्यतिथि पर लोकार्पित, डा• रीता सिंह द्वारा रचित काव्य संग्रह वीरों का वंदन से उद्धृत की गयी हैं। दिनांक 14.02.2020 को चंदौसी में पुलवामा के शहीदों को श्रद्धांजलि स्वरूप आयोजित वृहद कार्यक्रम में इस कृति का लोकार्पण हुआ। डा• रीता सिंह के शब्दों में 'इस काव्य संग्रह में प्रस्फुटित मेरे भाव देश के उन सभी जवानों को श्रद्धांजलि है, जो भारत माँ के लिये अपने जीवन की बीच राह में अर्पित हो गये। बासंती उल्लास के मास में पुलवामा में अचानक हुए आतंकी हमले में जब देश ने अचानक एक साथ चालीस वीर सपूतों को खो दिया तब उनके लिये मेरे ह्रदय में उमड़े भावों ने कविता के रूप लेकर उनको श्रद्धांजलि अर्पित करने की अभिलाषा व्यक्त की, जिसके फलस्वरूप इस लघु काव्य संग्रह की उत्पत्ति हो सकी।' वीरों का.वंदन पच्चीस छोटी बड़ी कविताओं का संग्रह है। प्रारंभि...

जीवन की गज़ल

जीवन की गज़ल हाथ नहीं लग पायी मंजिल, चलते चलते शाम हो गयी। बात अभी तक रही दिलों में, जाने कैसे आम हो गयी। अन्जाना पथ चलते चलते, यूँ ही उम्र तमाम हो गयी। साथ चल सकें अंत तलक वो, कोशिश भी नाकाम हो गयी। राह दिखायी जिसने सबको, आज वही बदनाम हो गयी। 'कृष्ण' गज़ल जीवन की देखो, बीच बहर अंजाम हो गयी। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

फ्री बिजली पानी के गणित को समझना होगा।

फ्री बिजली, पानी के गणित को समझना होगा। दिल्ली में आम आदमी पार्टी की प्रचंड विजय के बाद हम दिल्ली के वोटर्स को मुफ्तखोर, लालची, गद्दार आदि तमाम विशेषणों से नवाज रहे हैं, लेकिन हमें इस फ्री के गणित का अध्ययन अवश्य करना चाहिए।  फ्री बिजली पानी के संदर्भ में जो केजरीवाल और आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता कहते रहे , हमें उस कथन पर गौर करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जनता को बुनियादी सुविधाएं मुहैया कराने की हमारी जिम्मेदारी है। फ्री बिजली और फ्री पानी केवल 200 यूनिट बिजली और बीस हजार लीटर पानी प्रतिमाह फ्री उपलब्ध कराने की बात हुई। घरों में रोशनी के लिये बल्ब जलाने लायक व हवा के लिये पंखा या पानी गर्म करने लायक बिजली, बुनियादी जरूरत है, जो 200 यूनिट में पूरी हो जाती है। इसी प्रकार 20000 लीटर प्रति माह पानी, अर्थात 667 लीटर प्रतिदिन, जो एक सामान्य आकर के परिवार के नहाने धोने की जरूरत ही पूरी कर सकता है, केवल इतना पानी मुफ्त दिया जा रहा है। सीधी सी बात है सरकार ने बुनियादी जरूरतों लायक बिजली और पानी उपलब्ध कराने की अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करने की शुरुआत की। यह सुविधा अमीर गरीब सभी को ...

शाहीन बाग का प्रभाव

शाहीन बाग का प्रभाव। मेरे विचार से शाहीन बाग प्रकरण भाजपा के लिये भारी पड़ा। शाहीन बाग से एक संदेश ये अवश्य गया कि भाजपा की केंद्र सरकार ऐसे धरना प्रदर्शनों से सख्ती से निपटने में अक्षम है। क्योंकि देश में पहले कभी ऐसा नहीं हुआ कि धरना प्रदर्शन के कारण कोई सड़क बंद कर दी गयी हो और प्रशासन ने उसे न खुलवाया हो। यहाँ तो सरकार ने धरना समाप्त करवाने की कोई कोशिश नहीं की बल्कि उसका सहारा लेकर ध्रुवीकरण की कोशिश करती रही। यही कारण हुआ कि धरने वालों के हौसले बढ़ते चले गये और आज देश के तमाम शहरों में ऐसे धरने हो रहे हैं। शाहीन बाग का धरना भी खत्म करवाया जा सकता था। पुलिस, महिला पुलिस, तथा आर ए एफ आदि बल लगाकर धरना देनेवालों को घेरकर निरुद्ध करना चाहिए था, और मार्ग खुलवाना चाहिए था।  महिलाएं और बच्चे यदि धरने पर बैठे हैं, तो क्या उन्हें सड़क रोककर आम जन को असुविधा पहुँचाने की आजादी दी जानी चाहिए। वहाँ तमाम राजनेताओं ने भड़काऊ भाषण दिये। उनके खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं हुई। सिर्फ उसका प्रोपेगेंडा करके ध्रुवीकरण की कोशिश होती रही। इससे तो यही संदेश गया कि भाजपा भी धरना खत्म नहीं कर...

सबको आज जगाना होगा

सबको आज जगाना होगा संविधान के इस उत्सव पर, सबको आज जगाना होगा। राष्ट्रद्रोहियों के चंगुल से, अब गणतंत्र बचाना होगा।। आग लगाना, सड़क घेरना, ये कैसी आजादी है। इस विध्वंसक मनोवृत्ति में, जन धन की बरबादी है।। विकृत मानसिकता वालों से, अब ये देश बचाना होगा। संविधान के इस उत्सव पर सबको आज जगाना होगा।। हिंदू मुस्लिम मिलजुलकर सदियों से रहते आये हैं। मुट्ठी भर आतंकी आकर नफरत बोते आये हैं।। नफरत की दीवार गिराकर, फिर विश्वास जगाना होगा। संविधान के इस उत्सव पर सबको आज जगाना होगा। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। 24.01.2020

अथ आलू महात्म्य

अथ आलू महात्म्य ------------------------ टिंडे, भिंडी, बैंगन चाहे जितना शोर मचायें। आलू अपनी पर आयें तो सबको नाच नचायें।। बाकी सारे तो केवल सीजन में इठलाते हैं। आलू पूरे साल शान थाली की बढ़वाते हैं।। हर सब्जी के साथ मिलें थाली का स्वाद बढ़ायें। सबका साथ, विकास सभी का मूल मंत्र अपनायें।। यों तो प्याज टमाटर भी सबमें घुल मिल जाते हैं। लेकिन दोनों आसमान पे अक्सर चढ़ जाते हैं। आलू चाहे रहे अकेला फिर भी साथ निभाये। आलू की टिक्की भैया दावत की शान बढ़ाये।। कभी कभी कोई मेहनतकश रोटी दाल न पाता। वो भी आलू को उबालकर चटकारे ले खाता। एक अकेला आलू है जो सबकी भूख मिटाये। इसीलिये सारी सब्जी का राजा वह कहलाये। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। 04.02.2020