कब तक शिखंडी भीष्म पितामह का आखेट करता रहेगा।
कब तक शिखंडी भीष्म पितामह का आखेट करता रहेगा।
दैनिक आर्यावर्त केसरी के आज 11 जुलाई, बृहस्पतिवार के अंक में प्रकाशित श्री बृजेन्द्र सिंह वत्स का आलेख 'कब तक शिखंडी भीष्म पितामह का आखेट करता रहेगा' अत्यंत ज्वलंत प्रश्न उठा रहा है।
संदर्भ कठुआ में आतंकवादियों द्वारा घात लगाकर सेना के ट्रक पर हमला करने की घटना का है जिसमें एक सैन्य अधिकारी समेत 5 सैनिक मारे गये थे। इससे पूर्व पिछले माह भी ऐसी ही एक घटना में 2 सैनिक मारे गये थे। इस आलेख में वत्स जी ने कश्मीर समस्या के उद्भव से आज तक, सरकारों द्वारा की गई गलतियों के बारे में मुखरता से लिखा है। कब कब और कहॉं कहॉं किस सरकार से समस्या से निपटने में शिथिलता बरती गई इसका स्पष्ट उल्लेख उन्होंने किया है। कश्मीर से धारा 370 हटाने के बाद घाटी से आतंकवाद के सफाये के दावे की ओर भी उन्होंने प्रश्न उठाया है, क्योंकि आतंकवाद तो धीरे धीरे वहॉं फिर पॉंव पसारने लगा है। बल्कि अब तो आतंकी कठुआ में सक्रिय हो रहे हैं जो जम्मू में प्रवेश करते ही स्थित है। उन्होंने आतंकी तैयारियों की ओर भी ध्यान आकर्षित किया है।
यही नहीं वत्स जी ने अपने आलेख में महाभारत और रामायण कालीन युद्धों की विभिन्न परिस्थितियों का भी हवाला देते हुए सचेत करने का प्रयास किया है।
निश्चय ही उनका यह आलेख आई ओपिनर है, और यह आलेख सत्ता शीर्ष तक अवश्य पहुॅंचना चाहिए ताकि सत्ता में बैठे जिम्मेदार व्यक्तियों तक जन भावनाओं और जनाक्रोश के बारे में पता चल सके। साथ ही उन्होंने राजनेताओ के सैनिकों के प्रति दृष्टिकोण का उल्लेख करते हुए बिहार के एक मंत्री की टिप्पणी का उल्लेख भी आलेख में किया है। सैनिक का तो काम ही मरना है, उन्हें इसी बात के पैसे मिलते हैं। ऐसी ही बात कभी एस डी कुमारस्वामी (केंद्रीय मंत्री) जो उस समय कर्नाटक के मुख्यमंत्री थे, ने भी कही थी।
शायद इस आलेख को पढ़कर सैनिकों के प्रति राजनेताओं का दृष्टिकोण बदले।
पूरा आलेख विषय से संबद्ध तमाम तथ्यों का बिंदुवार विवरण देता है, साथ ही सचेत भी करता है, ताकि हम पिछली गलतियों को न दोहराएं। ऐसा आलेख निश्चय ही विषय के संबंध में संपूर्ण जानकारी और समग्रता में अध्ययन के पश्चात ही लिखा जा सकता है, जिसके लिये श्री वत्स जी की जितनी सराहना की जाये, कम ही होगी।
इन्हीं शब्दों के साथ मैं श्री बृजेन्द्र सिंह वत्स को इस शानदार आलेख के लिए ह्रदय से बहुत बहुत बधाई देता हूॅं।
श्रीकृष्ण शुक्ल,
मुरादाबाद।
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