हे गोवर्धन गिरधारी

हे गोवर्धन गिरधारी,
हे माधव मदन मुरारी

सब भ्रम में पड़े हुए हैं
धर्मों में बँटे हुए हैं
कैसी ये माया भारी
हे माधव मदन मुरारी

धरती अब हार रही है
चुपचाप कराह रही है
हर ओर प्रदूषण भारी
हे गोवर्धन गिरधारी

हे जन नायक अब आओ
कुछ लीला पुनः रचाओ
मिट जाएं पापा चारी
हे माधव मदन मुरारी।
हे गोवर्धन गिरधारी।

अन्नकूट एवं गोवर्धन पूजा की शुभकामनाएं।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

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