बाल कविता:केबीसी का खेल
बाल कविता: केबीसी का खेल
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टी वी पर नित देखकर के बी सी का खेल।
छोटू बोला एक दिन खेलूँगा ये खेल।।
सारे ही प्रश्नों के उत्तर मुझको आते।
किन्तु कार्यक्रम वाले मुझको नहीं बुलाते।।
पापा बोले कोशिश करना कार्य हमारा।
क्या जाने किस पल जग जाये भाग्य तुम्हारा।।
छोटू बोला सच है, पापा, लगा रहूँगा।
और एक दिन हॉट सीट पर मैं बैठूँगा।।
रकम जीतकर लाखों, मैं लेकर आऊँगा।
बच्चन जी के साथ, सैल्फी खिंचवाऊँगा।।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
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टी वी पर नित देखकर के बी सी का खेल।
छोटू बोला एक दिन खेलूँगा ये खेल।।
सारे ही प्रश्नों के उत्तर मुझको आते।
किन्तु कार्यक्रम वाले मुझको नहीं बुलाते।।
पापा बोले कोशिश करना कार्य हमारा।
क्या जाने किस पल जग जाये भाग्य तुम्हारा।।
छोटू बोला सच है, पापा, लगा रहूँगा।
और एक दिन हॉट सीट पर मैं बैठूँगा।।
रकम जीतकर लाखों, मैं लेकर आऊँगा।
बच्चन जी के साथ, सैल्फी खिंचवाऊँगा।।
श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
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