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बाबरी गिरने की कहानी

 1.अशोक सिंघल जी मंदिर में रामलला विराजमान करने के लिए पाँच लोग इकट्ठा हुए थे , महंत दिग्विजयनाथ , बाबा राघवदास ,  बाबा अभिराम दास, रामचन्द्र परमहंस और हनुमान प्रसाद पोद्दार। नानाजी देशमुख का नाम भी इसमे आता है पर उन्होंने न कभी इसे स्वीकार किया न खंडन किया।   महंत दिग्विजयनाथ सिसोदिया राजपूत थे , बप्पा रावल और महाराणा प्रताप के प्रत्यक्ष वंशज। उनके बचपन का नाम राणा नान्हू सिंह था। चाचा ने उनकी संपत्ति हड़पने के लिए मात्र सात वर्ष कि उम्र में नाथ योगी फूलनाथ को सौंप दिया था। और अफवाह फैला दिया कि उनका भतीजा मेले में खो गया है। किस्मत उन्हें गोरखनाथ  मंदिर ले आई। वहाँ उन्होंने एक ईसाई कॉलेज सेंट एंड्रूस से अपनी पढ़ाई की। अच्छा लॉन टेनिस खेलते थे और अंग्रेजी बोलते थे।  क्रांतिकारी साधु थे और चौरा-चौरी कांड में जेल भी गए थे।  बाबा राघवदास पुणे के चित्तपावन ब्राह्मण थे , काँग्रेस के हिंदुत्ववादी धडे के प्रमुख नेता थे। 1948 मे अयोध्या मे विधानसभा का उपचुनाव होने वाला था। सोशलिस्टों के तरफ से आचार्य नरेंद्रदेव उम्मीदवार थे। फैजाबाद के मुसलमानों में उनकी मजबूत ...

जिस वृक्ष की डाल पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं हम लोग

 जिस वृक्ष की डाल पर बैठे हैं, उसी को काट रहे हैं हम लोग प्रत्येक वर्ष सितंबर के महीने का अंत होते होते जैसे ही मौसम में थोड़ी ठंडक शुरु होती है, वातावरण में धुंध और घुटन के कारण सांस लेना मुश्किल होने लगता है! सुबह को टहलने वाले लोग भी वातावरण में व्याप्त इस प्रदूषण के कारण परेशान होते हैं, यद्यपि वे स्वस्थ रहने के लिये टहलने निकलते हैं, लेकिन उल्टे बीमारी लेकर आ जाते हैं! हैरानी की बात तो यह है कि अभी तक सरकारों ने इस प्रदूषण के कारणों पर कोई गंभीर चिंतन नहीं किया, न ही कोई कार्यक्रम चलाया, बस किसानों द्वारा खेतों में पराली जलाने, व दीवाली पर आतिशबाजी पर प्रदूषण का ठीकरा फोड़ा जाता रहा, जबकि अभी कुछ दिनों पूर्व ही हुए अध्ययन से ज्ञात हुआ है कि प्रदूषण के कारकों में पराली के धुंए का योगदान नगण्य है!  यही बात दीवाली की आतिशबाजी के संदर्भ में भी कही जा सकती है, क्योंकि उससे भी जो प्रदूषण होता है, वह केवल एक दिन के लिये होता है, जिसका प्रभाव अगले दिन तक समाप्त हो जाता है! खेतों में पराली जलाने का कार्य भी पंद्रह बीस दिनों चलता है! वैसे भी पराली तो मात्र सूखी पत्तियां हैं, सूखी प...

हमें श्री राम सरीखा बनना होगा।

 हमें श्री राम सरीखा बनना होगा। विजयादशमी का पर्व हम सभी ने धूमधाम से मनाया, इस पर्व को दशहरा भी कहा जाता है। यह पर्व बुराई पर अच्छाई की‌ विजय का पर्व है। विजयादशमी के दिन ही श्री राम ने लंकेश रावण का वध किया था। वह लंकेश जो परम विद्वान था, वेद शास्त्रों का ज्ञाता महान पंडित, ब्राह्मण था, पृथ्वी पर सर्वाधिक बलवान था, जिसने नव गृहों को भी अपना बंदी बना लिया था, जिससे देवता भी भय खाते थे, भला उस रावण का वध करने की श्री राम को क्यों आवश्यकता पड़ी।  श्री रामचरितमानस में प्रभु श्री राम के जन्म के संदर्भ में लिखित एक दोहा ही रावण के वध के कारण को वर्णित करने के लिये पर्याप्त है। वह दोहा है: विप्र धेनु सुर संत हित, लीन्ह मनुज अवतार। निज इच्छा निर्मित तनु, माया गुण गो पार।। उस समय पृथ्वी पर अत्याचारी दानवों का इतना आतंक था कि ब्राह्मण अपना पूजा पाठ भी नहीं कर सकते थे, रावण से संरक्षण प्राप्त राक्षस उनके यज्ञ विध्वंस कर देते थे, मारते पीटते थे, लूटपाट करते थे, सुंदर स्त्रियां भी सुरक्षित नहीं थीं। स्वयं रावण भी जिस पर मोहित हो जाता था उससे जबरन विवाह करना चाहता था। मयदानव की पुत्री मंद...

लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी।

 लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी। दिनांक 13.दिसंबर के संपादकीय 'चलिए गतिरोध तो टूटेगा' में आदरणीय वत्स जी ने सही लिखा है कि राहुल गांधी सहित समस्त विपक्ष संसद में कोई चर्चा होने ही नहीं देना चाहता हैं। यही कारण है कि संसद की कार्यवाही शुरु होते ही वह शोर शराबा शुरु कर देते हैं और कार्यवाही नहीं चलने देते। कांग्रेस तो वही घिसा पिटा विषय लेकर हंगामा करती जा रही है। अडाणी पर चर्चा के साथ साथ उन्होंने संविधान का विषय भी उठा दिया। वह समझते थे कि सरकार इस विषय को भी गंभीरता से नहीं लेगी, लेकिन सरकार ने संविधान पर चर्चा को मान लिया तथा दिनांक 13 और 14 दिसंबर संविधान पर चर्चा के लिये तय हुए। चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान को हाईजैक करने की कोशिश करती है, पीढ़ियों से कांग्रेस के नेताओं ने संविधान को परिवार की जेब में ही रखे देखा है, यही वजह है कि हम जहां संविधान को माथे से लगाते हैं विपक्ष के नेता उसे जेब में लेकर चलते हैं। कांग्रेस परिवार की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद में अपना पहला भाष...

महाकुंभ: सामाजिक समरसता का उत्सव

 महाकुंभ: सामाजिक समरसता का उत्सव महाकुंभ में मौनी अमावस्या के दिन डुबकी लगाने के लिये आस्था का सैलाब उमड़ पड़ा है।  वस्तुत: यह सनातन चेतना की‌ जागृति का परिणाम है, जो हिन्दू सोया पड़ा था उसकी जागृति तो काशी में विश्वनाथ धाम तथा अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा से ही शुरू हो गयी थी, यदि कुछ चेतना अब भी सुप्त थी तो वह महाकुंभ के इस अवसर पर जागृत हो गयी। निरंतर मीडिया से जानकारी मिल रही थी कि यह महाकुंभ 144 वर्ष में आया है, और हमारी पीढ़ी अत्यंत सौभाग्यशाली है जिसे इस महाकुंभ का हिस्सा बनने का अवसर मिला है। इसके बाद महाकुंभ 144 वर्ष बाद 2169 में आयेगा, तब तक 3-4 पीढ़ियां निकल जायेंगी। महाकुंभ की चाक चौबंद व्यवस्था की जानकारी और फोटोज भी मीडिया निरंतर दिखा रहा है। इन सब कारणों से श्रद्धालुओं में अत्यंत उत्साह है। वस्तुतः कुंभ हमारी सामाजिक समरसता का महानतम उत्सव है। सरकार का काम तो केवल प्रबंधन है, अन्यथा सरकार व्यवस्था न करती तब भी लोग महाकुंभ में आते और स्नान करते। व्यवस्था करना सरकार की जिम्मेदारी है, जो वह पूरृण कुशलता के साथ कर रही है। कुंभ में ही वास्तविकता में सनातन ...

मिडिल क्लास के सपनों को पंख लगाने वाला बजट

 मिडिल क्लास के सपनों को पंख लगाने वाला बजट  ------------------------------- आज संसद में वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने यद्यपि बजट भाषण की शुरुआत करते हुए इसे महिलाओं व किसानों पर केंद्रित बजट बताया था, और बजट भाषण के दौरान भी जितनी घोषणाएं की जा रही थीं उनसे भी यही अनुमान लग रहा था कि बजट महिलाओं, किसानों, छोटे कारोबारियों को दृष्टिगत रखते हुए बनाया गया है। मध्यम वर्ग तथा उच्च आय वर्ग वालों की रुचि मुख्यतः बजट में आयकर दरों और मिलने वाली छूट तक सीमित रहती है। जो सामान्यतः बजट भाषण के अंत में की जाती हैं। बजट भाषण समाप्त होते होते भी वित्त मंत्री ने यह तो कहा कि आयकर का बिल लाकर नया कानून बनाया जायेगा। आयकर को आसान बनाया जायेगा। इससे यह लगा कि अभी आयकर में कुछ नहीं होगा और बिल का इंतजार करना पड़ेगा। लेकिन इसके तुरंत बाद ही वित्त मंत्री जी ने आयकर के संदर्भ में जो घोषणाएं करनी प्रारंभ कीं उससे आयकर देने वाले हम जैसे मध्य आय वर्ग वालों की खुशी का ठिकाना न रहा। वस्तुतः आयकर छूट की सीमा तो उम्मीद से भी अधिक बढ़ा दी गई है। अभी तक यह सात लाख थी और आशा की जा रही थी कि शायद सरकार इसे...

अंततः दिल्ली आपदा से मुक्त हो गई

1. दिल्ली चुनाव : आठ तारीख का इंतजार  दिल्ली में चुनाव की तारीख जैसे जैसे पास आती जा रही है वैसे वैसे आम आदमी पार्टी की ओर से चुनाव प्रचार मर्यादा की सारी सीमाएं लांघता जा रहा है। आम आदमी पार्टी के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल रोज एक नया झूठा जुमला उछाल देते हैं। वस्तुतः केजरीवाल को भी अहसास हो गया है कि इस बार उनकी पार्टी का जीतना आसान नहीं है, यही कारण है कि वह निरंतर वोटर्स को डराने का उपक्रम कर रहे हैं, जैसे कि अगर भाजपा की सरकार आई तो उनकी जिंदगी मुश्किल हो जायेगी। मुफ्त की बिजली पानी बंद हो जायेगी, मुहल्ला क्लीनिक बंद हो जायेंगी, मुफ्त की जो सुविधाएं मिल रही हैं वह सब भाजपा सरकार बंद कर देगी।  सबसे बड़ा और अविश्वसनीय झूठ तो उन्होंने ये बोला कि हरियाणा में भाजपा सरकार ने यमुना के पानी में जहर मिला दिया और वह ऐसा जहरीला पानी था जो ट्रीटमेंट प्लांट से भी नहीं निकाला जा सकता‌ था, इसलिए हमने उस पानी को दिल्ली में आने से रोक लिया। यदि ये पानी दिल्ली में घरों तक पहुंच जाता तो जेनोसाइड (नरसंहार) हो जाता। केजरीवाल का यह बयान खुद उनको ही उपहास का पात्र बना रहा है। य...