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Showing posts from December, 2024

सुनो जरा कविता कुछ कहती है

            सुनो जरा कविता कुछ कहती है             जाने क्या क्या बातें करती है             तेरे मेरे भीतर बाहर के             सारे भाव उजागर करती है             सुनो जरा कविता कुछ कहती है             बातें जो आपस में होती हैं             बातें जो मन में रह जाती हैं             सुनी अनसुनी, कही अनकही भी             ये सबको जगजाहिर करती है             मन की पहुँच जहाँ तक होती है             ये उससे भी आगे चलती है             मन तो हार मान लेता है पर             कलम निरन्तर चलती रहती है             संसद के भीतर तक पहुँच गई             झूठ मूठ की ब...

फुटबॉल: दो वर्ष पूर्व अर्जेंटीना द्वारा फुटबॉल विश्व कप जीतने पर।

 दो वर्ष पूर्व की स्मृति से। अर्जेंटीना द्वारा फुटबॉल विश्व कप जीतने पर। अर्जेंटीना और लियोनल मैसी को बहुत बहुत बधाइयां कल का मैच शुरुआती अस्सी मिनट तक एकतरफा लग रहा था,  कोई सोच भी नहीं सकता था कि कोई उलटफेर होगा I अर्जेंटीना के खिलाड़ी थोड़े सुस्त हो गये थे और टाइम पास कर रहे थे जो स्वाभाविक भी था, लेकिन ऐसी सुस्ती कभी कभी घातक भी हो जाती है I मुझे बार बार लग रहा था कि फ्रांस जैसी टीम इतनी आसानी से कैसे हार सकती है I फिर वह हुआ जिसकी कल्पना ही नहीं की जा सकती थी I जब म्बापे ने पेनाल्टी पर गोल दागा तभी मुझे आभास हो गया था कि अगर अर्जेंटीना के खिलाड़ी अब भी नहीं सम्हले तो स्कोर बराबर भी हो सकता है, और अभी मैं ये सोच ही रहा था कि म्बापे ने दूसरा गोल करके स्कोर बराबर कर दिया I जीता भले ही अर्जेन्टीना लेकिन फ्रांस के कप्तान म्बापे के ५७ सेकेंड में लगातार दो गोलों ने फ्रांस को गेम में वापस खड़ा कर दिया I  उनका दूसरा फील्ड गोल तो दर्शनीय था I एक्सट्रा टाइम में भी म्बापे ने ही गोल दागकर ३-३ पर स्कोर बराबर किया I  यद्यपि समग्रता में मेरा मानना है कि जीत का असली हकदार तो अर्...

श्री अयोध्या धाम और चित्रकूट यात्रा

  श्री अयोध्या धाम और चित्रकूट यात्रा कहते हैं कि किसी धाम या तीर्थ में व्यक्ति परमात्मा के बुलावे पर ही जाता है। यह बात हमने स्वयं भी कई बार अनुभव की है। बहुत बार ऐसा हुआ कि किसी तीर्थ में जाने का कार्यक्रम बना किंतु किसी न किसी व्यवधान के कारण नहीं जा सके। इसी वर्ष जब अयोध्या में राम लला की प्राण प्रतिष्ठा हुई थी तभी से अयोध्या जाने का बहुत मन था। पहले तो यही निश्चय किया था कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद दर्शन करने जायेंगे, लेकिन दूरदर्शन पर प्रतिदिन दर्शनार्थियों की बढ़ती भीड़ के समाचार देखकर यही निश्चय हुआ कि यह भीड़ जब सामान्य हो जायेगी तभी जायेंगे। उसके बाद धीरे धीरे अयोध्या जाने की इच्छा सुप्त चेतना में चली गई। विगत बृहस्पतिवार को अचानक हमारे एक सहजी भाई विनोद गुप्ता जी का फोन आया कि भाईसाहब कल अयोध्या चलना है। पूछने पर पता चला कि सात सहजयोगी परिवारों ने अयोध्या व चित्रकूट के भ्रमण व दर्शन का कार्यक्रम बनाया है, उसमें हमारा भी नाम है। मना करने का तो प्रश्न ही नहीं था, लेकिन हमने यह जरूर कहा कि दो दिन में अयोध्या व चित्रकूट दोनों जगह जाना व्यावहारिक नहीं है, केवल अयोध्या चलना चाहि...

लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी।

लोकसभा में संविधान पर चर्चा में प्रधानमंत्री जी ने विपक्ष की हवा निकाल दी। दिनांक 13.दिसंबर के संपादकीय 'चलिए गतिरोध तो टूटेगा' में आदरणीय वत्स जी ने सही लिखा है कि राहुल गांधी सहित समस्त विपक्ष संसद में कोई चर्चा होने ही नहीं देना चाहता हैं। यही कारण है कि संसद की कार्यवाही शुरु होते ही वह शोर शराबा शुरु कर देते हैं और कार्यवाही नहीं चलने देते। कांग्रेस तो वही घिसा पिटा विषय लेकर हंगामा करती जा रही है। अडाणी पर चर्चा के साथ साथ उन्होंने संविधान का विषय भी उठा दिया। वह समझते थे कि सरकार इस विषय को भी गंभीरता से नहीं लेगी, लेकिन सरकार ने संविधान पर चर्चा को मान लिया तथा दिनांक 13 और 14 दिसंबर संविधान पर चर्चा के लिये तय हुए। चर्चा की शुरुआत रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की और उन्होंने कहा कि कांग्रेस संविधान को हाईजैक करने की कोशिश करती है, पीढ़ियों से कांग्रेस के नेताओं ने संविधान को परिवार की जेब में ही रखे देखा है, यही वजह है कि हम जहां संविधान को माथे से लगाते हैं विपक्ष के नेता उसे जेब में लेकर चलते हैं। कांग्रेस परिवार की नेता प्रियंका गांधी वाड्रा ने संसद में अपना पहला भाषण...

मानव मन के भावों के चित्रकार थे आनंद कुमार गौरव जी।

 मानव मन के भावों के चित्रकार थे आनंद कुमार गौरव जी।--------------------------------------------------------- स्मृति शेष आनंद कुमार गौरव जी से मेरा पहला परिचय 5 वर्ष पूर्व हिन्दी साहित्य संगम की गोष्ठी में हुआ था।  उसके कुछ समय बाद ही वह बीमारी के कारण सक्रिय नहीं थे। जब वह थोड़े स्वस्थ हुए तब उनके जन्मदिन के अवसर पर हस्ताक्षर द्वारा उनके सम्मान में उन्हीं के आवास पर एक गोष्ठी का आयोजन हुआ जिसमें मैं भी सम्मिलित हुआ था। उसी गोष्ठी में उनके व्यक्तित्व व कृतित्व का वास्तविक परिचय मिला। वह एक बैंककर्मी रहते हुए साहित्यिक क्षेत्र में सक्रिय थे और निरंतर उत्कृष्ट रचनाकर्म में लगे थे। उक्त गोष्ठी में ही उन्होंने कुछ गीत सुनाए थे। अत्यंत सुंदर गीत, अत्यंत सुमधुर कंठ व ठहराव भरी आवाज में उनकी प्रस्तुति ह्रदय की गहराई से उतरती हुई प्रतीत हो रही थी। गीत, ग़ज़ल, मुक्तक, विविध छंद व अतुकांत रचनाओं के साथ साथ वह उपन्यास भी लिखते थे। उनके दो उपन्यास: ऑंसुओं के उस पार तथा थका हारा सुख प्रकाशित हुए हैं। इसके अलावा गीत संग्रह 'मेरा हिन्दुस्तान कहॉं है, और कविता संग्रह 'शून्य के उस पार' प्रक...

स्पंदन: मॉं की स्मृतियों को जीवंत करती अनूठी पुस्तक

 स्पंदन: मॉं की स्मृतियों को जीवंत करती अनूठी पुस्तक ---------------------------------------------------------- आज अचानक श्रीमती अनीता गुप्ता की पुस्तक 'स्पंदन' मेरे समक्ष आ गई। यद्यपि यह पुस्तक मैंने पहले ही पूरी पढ़ ली थी, फिर भी एक बार पुनः पन्ने पलटने लगा और धीरे-धीरे पूरी पुस्तक दोबारा पढ़ी गयी। वस्तुत: श्रीमती अनिता गुप्ता की यह पुस्तक 'स्पंदन' मॉं की यादों के साथ साथ लेखिका के पुश्तैनी घर की यादों के संस्मरणों का एक अद्भुत संग्रह है।  अपनी माताजी के साथ बालपन, शैशव काल, युवावस्था तथा विवाह के बाद की स्मृतियों का अनमोल खजाना है यह संग्रह। अत्यंत भावपूर्ण व स्मृति पटल पर उन दृश्यों को चलचित्र की भांति उकेरती उनकी शैली पुस्तक को पठनीय बनाते रखती है‌। बीच बीच में मॉं के महत्व को दर्शाती उनकी पंक्तियां अत्यंत प्रभावशाली हैं कुछ उदाहरण प्रस्तुत हैं: 'मॉं  सृष्टि के अनुरूप परमात्मा का अनमोल उपहार है। मॉं में संपूर्ण प्रकृति है, मॉं का कोई मोल नहीं।' 'मॉं की ममता में कोई मिलावट नहीं, कोई दिखावट नहीं, कोई गिरावट नहीं।' 'मॉं  बेटी का रिश्ता सबसे खास होत...