पत्थरों सा जो हो गया होता।

 गज़ल  (पत्थरों सा जो हो गया होता)

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पत्थरों सा जो हो गया होता।

आज मैं भी खुदा हुआ होता।


फूल ये इस तरह न मुरझाता।

प्यार से आपने  छुआ होता।।


हम अँधेरों से पार पा लेते।

एक भी दीप यदि जला होता।


आपने यदि हवा न दी होती। 

जख्म फिर से न ये हरा होता।

 

कंटकों से न घर सजाते तो।

आज दामन न ये फटा होता।।


काश तू पहले मिल गया होता

हाल तेरा न यूँ बुरा होता


राज दिल में अगर रखा होता

दोस्त तू यूँ न बेवफा होता।


कृष्ण  रहमत खुदा की हो जाती।

उसकी चौखट पे जो झुका होता।।


श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद ।


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