सहजयोग पर मुक्तक
अपने आत्मतंत्र को जानो, आत्मशक्ति का भान करो। तुमने खुद को कितना जाना, इस पर अनुसंधान करो। आत्मज्ञान देने माँ निर्मल, पृथ्वी पर अवतरित हुईं। श्री माताजी को पहचानो, सहजयोग का ध्यान करो।।
'मानव मानव का दुश्मन है, कैसे इसको समझायें।
द्वेष घृणा के चंगुल से अब, कैसे इसको छुड़वायें।
सहज प्रेम से अब मानव को परिवर्तित करना होगा।
प्रेम करोगे प्रेम मिलेगा, बात इसे ये समझायें ।'
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