लॉकडाउन की मधुशाला

लॉकडाउन की मधुशाला

मतवाले का हाल न पूछो, नहीं मिल रही थी हाला।
बोतल खाली, सागर खाली, खाली था मधु का प्याला।
दिन चालीस हुए तो आखिर, घड़ी तसल्ली की आयी।
मंदिर मस्जिद बंद पड़े हैं, किंतु खुल गयी मधुशाला।

बूँद बूँद को तरस गया था, रोज नीट पीने वाला।
रोज प्रार्थना करता था प्रभु, खुलवा दो अब मधुशाला।
ऊपरवाले ने भी शायद, उसकी पीड़ा को जाना।
कहीं न प्यासा ही मर जाये, अतः खोल दी मधुशाला।।

पीनेवाला श्वास श्वास में, रटता था हाला हाला।
कोई याद मुझे भी  करता, सोच रहा ऊपरवाला।।
श्रद्धा से तुम जो माँगोगे, मुझसे वो ही पाओगे।
अतः बंद हैं मंदिर मस्जिद, अत: खुल गयी मधुशाला।

श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद
MMIG 69, रामगंगा विहार, मुरादाबाद। उ.प्र.।
मोबाइल नं. 9456641400

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