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Showing posts from January, 2023

सहज और संतुलित जीवन शैली सिखाता है सहज योग.

  सहज और संतुलित जीवन शैली सिखाता है सहज योग. आज की भाग दौड़ भरी दिनचर्या में प्रत्येक व्यक्ति सामान्यतया तनाव ग्रस्त रहता है I इसी तनाव के कारण व्यक्ति अक्सर गंभीर बीमारियों से भी ग्रस्त हो जाता है और फिर जिंदगी भर चिकित्सकों और दवाइयों के सहारे चलता रहता हैं I  यह भी जग जाहिर है कि इस तनाव और तनाव जनित रोगों से बचाव के लिये योग करना अत्यंत लाभप्रद है, लेकिन तमाम लोग ऐसे भी हैं जो सरलता से योगासन आदि  नहीं कर पाते, क्योंकि योगासन श्रमसाध्य होते हैं I आज हम चर्चा कर रहे हैं श्री माताजी निर्मला देवी जी द्वारा स्थापित सहज योग की, जो एक ऐसी योगविधि है जिसे करने के लिये कोई श्रम नहीं करना पड़ता, कोई आसन नहीं लगाना पड़ता, बस सुबह शाम 10 - 15 मिनट ध्यान करना पड़ता है I सहजयोग के माध्यम से ध्यान करने पर साधक की अंतर्जात शक्ति (जिसे कुंडलिनी भी कहा गया है), सूक्ष्मता में जागृत हो जाती है और सहस्त्रार चक्र क्रियाशील हो जाता है,  जिसके परिणामस्वरूप साधक के स्नायु तंत्र में ब्रह्मांडीय ऊर्जा का संचरण होने लगता है, जिसकी अनुभूति साधक की उंगलियों के पोरों पर तथा सहस्त्रार पर ...

अत्यंत सरल, सौम्य और सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे, स्मृति शेष शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी

अत्यंत सरल, सौम्य और सहज व्यक्तित्व के स्वामी थे, स्मृति शेष शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी कीर्तिशेष श्री शिव अवतार रस्तोगी 'सरस' जी से मेरा परिचय वर्ष 1994 में हुआ था I  उस समय मैं स्टेट बैंक की मुख्य शाखा मुरादाबाद में फील्ड आफीसर नियुक्त था, साथ ही सहजयोग मुरादाबाद का केंद्र व्यवस्थापक था I उस समय श्री पुनीत रस्तोगी भी मुरादाबाद शाखा में ही नियुक्त थे, और हमारे संपर्क में आने के बाद सक्रिय रूप से सहज योग से जुड़ गये थे I एक दिन बैंक में ही पुनीत जी के साथ श्री सरस जी आये थे और हमारा परिचय हुआ, श्री सरस जी सहजयोग के विषय में जानने को उत्सुक थे, सहजयोग के संदर्भ में ही हमारी देर तक चर्चा हुई. चर्चा के दौरान यह भी पता चला कि वह कविताएं भी लिखते हैं, पुनीत जी ने हमारे बारे में भी बताया कि भाईसाहब भी कविताएं लिखते हैं, इससे आत्मीयता और बढ़ गयी, उन्होंने मुझे अपनी बालगीत की एक पुस्तक भी भेंट की İ फिर वह रविवार को लगने वाले सहजयोग केंद्र पर भी आने लगे थे İ बैंक में भी यदा कदा उनका हमारे पास आना जाना लगा रहता था I वर्ष 2000 में मेरा मुरादाबाद से अन्यत्र स्थानांतरण हो गया था, जि...

गणतंत्र का उत्सव और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न

  गणतंत्र का उत्सव और आत्मनिर्भर भारत का स्वप्न 26 जनवरी का दिन हम सभी भारतवासियों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण है İ वैसे तो हमारा देश 15 अगस्त 1947 के दिन स्वतंत्र हुआ था, लेकिन उस समय हमारे पास अपना कोई संविधान नहीं था , हम ब्रिटिश कानून से ही नियंत्रित हो रहे थे, राष्ट्राध्यक्ष भी राष्ट्रपति न हो कर गवर्नर जनरल होता था I स्वतंत्रता हासिल करने के बाद अपना संविधान बनाने पर कार्य हुआ, संविधान सभा का गठन किया गया, संविधान सभा द्वारा तमाम बैठकों और विचार विमर्श के बाद जो संविधान बनाया गया,  उसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया I  इस प्रकार 26 जनवरी 1950 को हमारा देश एक स्वायत्तशासी गणतंत्र बना,  और राष्ट्रध्यक्ष के रूप में राष्ट्रपति हमारे सर्वोच्च शासक बने I इसी कारण हम प्रतिवर्ष 26 जनवरी को अपने गणतंत्र की वर्षगांठ मनाते हैं I इस वर्ष हम गणतंत्र दिवस की 73 वीं वर्षगांठ मना रहे हैं I इन तिहत्तर वर्षों में यद्यपि आम जन जीवन में आमूल चूल परिवर्तन हुआ हैं, तकनीक और संसाधनों के साथ साथ आर्थिक आधार पर भी देश धीरे धीरे विकसित राष्ट्रों के समकक्ष दिखाई देने लगा है I अंतर्राष्ट्री...

बेसहारों का सहारा

 मंच को नमन, बहुत दिनों बाद आज एक प्रस्तुति मेरी भी : बेसहारों का सहारा भाइयो और बहनों, लोगों के जुटते ही श्याम बाबू माइक संभालते हुऐ बोले: जैसा कि आप जानते हैं कि इस समय ठंड अपने चरम पर है, हमारे शहर में तमाम निर्धन बेसहारा लोग ऐसे हैं जिनके पास ठंड से बचने को ढंग के कपड़े भी नहीं हैं, हमने निर्णय किया है कि संस्था की ओर से ऐसे लोगों को स्वेटर और कंबल वितरित किये जायेंI श्याम बाबू शहर की संस्था 'बेसहारों का सहारा ' के संस्थापक अध्यक्ष थे, आज उनके आह्वान पर संस्था की आपातकालीन बैठक बुलाई गई थी I  सभी लोगों की सहमति के बाद चंदा जुटाया गया और  बजट बनाया गया I घनश्याम जी ने कहा कंबल की खरीद मैं करवा दूंगा, मेरा एक कंबल बनाने वाली फैक्टरी के मालिक से परिचय है, वहाँ से बढ़िया कंबल मुनासिब दाम में मिल जायेंगे. अरे घनश्याम जी, उनकी बात काटते हुए श्याम बाबू बोले : कंबल तो कंबल ही होता है, बढ़िया के चक्कर में न पड़ें, बाजार से सस्ते कंबल खरीद लीजिए; आखिर पंडाल , साउंड सिस्टम, कैटरिंग का इंतजाम भी करना है, अतिथियों का सम्मान भी करना है, स्मृति चिन्ह भी देना है, मीडिया व प्रशासनिक अ...