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Showing posts from September, 2019

बाल कविता:केबीसी का खेल

बाल कविता: केबीसी का खेल ------------------------------------- टी वी पर नित देखकर के बी सी का खेल। छोटू बोला एक दिन खेलूँगा ये खेल।। सारे ही प्रश्नों के उत्तर मुझको आते। किन्तु कार्यक्रम वाले मुझको नहीं बुलाते।। पापा बोले कोशिश करना कार्य हमारा। क्या जाने किस पल जग जाये भाग्य तुम्हारा।। छोटू बोला सच है, पापा, लगा रहूँगा। और एक दिन हॉट सीट पर मैं बैठूँगा।। रकम जीतकर लाखों, मैं लेकर आऊँगा। बच्चन जी के साथ, सैल्फी खिंचवाऊँगा।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

बाबूजी का श्राद्ध

पितृपक्ष चल रहे हैं। इसी संदर्भ में एक मुक्तछंद हास्य रचना प्रस्तुत है बाबूजी का श्राद्ध --------------------- बाबूजी के श्राद्ध पर पंडित जी बोले, सुनो जजमान, जो बाबूजी खाते थे, वही बनवाना पकवान। यदि कुछ कमी रही तो, बाबूजी की आत्मा अतृप्त रह जाएगी। और उनका आशीर्वाद न मिला तो तुम्हारी भी बरक्कत रुक जाएगी। श्राद्ध के दिन थाली में सजे थे ढेरों पकवान। चखते चखते पंडित जी भी थे हैरान। बोले, अरे ये क्या जजमान न सब्जी में नमक, न खीर में मीठा, न तड़का, न छौंका। थाली में हैं छत्तीस व्यंजन, लेकिन सब फीका फीका। क्यों पंडित को सताते हो, यदि खिलाने का मन नहीं, तो क्यों बुलाते हो। तुरत हाथ जोड़ कर बोला जजमान। ऐसी बात नहीं है श्रीमान। हमारे बाबूजी डायबिटीज और ब्लड प्रैशर के मरीज थे। नमक और चीनी दोनों का परहेज रखते थे। यदि फीका न बनाते तो बिना खाये चले जाएंगे। और सब कुछ करने के बाद भी पितर अतृप्त रह जाएंगे। पंडित जी निरुत्तर हो चुपचाप खाने लगे। खा पीकर, डकार ले मूँछें सुखाने लगे। तभी गिलास में पानी लेकर फिर आया जजमान बोला ये गोलियाँ भी गटकिये श्रीमान। हमारे बाबूजी रोज दवा ...

दूध के दाँत।

बाल कविता: दूध के दाँत -------------- नटखट छोटू लगा बिलखने उसका दाँत लगा था हिलने दाँत कहाँ से मैं लाऊँगा बाबा जैसा हो जाऊँगा मम्मी पापा ने समझाया दाँत दूध के हैं बतलाया बारी बारी गिर जाएंगे फिर मजबूत दाँत आएंगे मिली तसल्ली तो मुस्काया। बच्चों के सँग रौल मचाया।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। 17.09.2019

विद्या का मोल

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विद्या का मोल ---------------- पहले थे गुरुदेव, फिर कहलाये अध्यापक,                 बदलती परिस्थितियों में अब साहब,                 संबोधन में भी परिवर्तन है आवश्यक,                 इसीलिये अब वे कहलाते हैं शिक्षक।                 मेरे पूज्य पिताजी कहते थे,                 जब वो पढ़ने जाते थे,                 गुरुदेव पहले पाठ पढ़ाते थे,                 फिर घर का काम कराते थे,                 कोई भी छात्र हो न जाये फेल,                 इसीलिये घर पर भी क्लास चलाते थे।                 जब मैं पढ़ने जाता था,                 अध्यापक जी का ह...

गजानन तुमको करूँ नमन।

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           गजानन तुमको करूँ नमन।            आपका शत शत अभिनंदन।।            पार्वती सुत जग हितकारी।            तुमको पूजे दुनिया सारी।            विघ्न विनाशक लंबोदर ने,            मूषक जैसी चुनी सवारी।            रिद्धि सिद्धि के अधिपति            गणपति तुमको करूँ नमन।           आपका शत शत अभिनंदन।            भक्तों के प्रतिपाल तुम्हीं हो,            गणनायक गजभाल तुम्हीं हो।            तुमको साधे सब सध जाएं,            पार्वती के लाल तुम्हीं हो।            मेरी सब बाधाएँ हर लो            काटो भव बंधन        ...