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Showing posts from January, 2025

शारदे वंदना

शारदे माँ कर रहा हूँ आपसे ये प्रार्थना। जो रचूँ उसमें सदा कल्याण की हो भावना। भाव भी हों शुद्ध, मानस शुद्ध, चिंतन शुद्ध हो। लेखनी जो भी गढ़े, वो छंद भी माँ शुद्ध हो। जो पढ़े उसमें जगे सद्भाव की ही भावना। शारदे माँ कर रहा हूँ आपसे ये प्रार्थना। गीत ऐसे रच सकूँ जो प्रेम सबमें भर सकें। शांति के सद्भावना के भाव सबके कर सकें। जगत के कल्याण हित ही लेखनी को साधना। शारदे माँ कर रहा हूँ आपसे ये प्रार्थना। प्रेम करुणा.शांति के सद्भाव के ही छंद हों हो सभी का चित्त निर्मल ह्रदय में आनंद हो सहजता में मनुजता की जगे सबमें भावना शारदे माँ कर रहा हूँ आपसे ये प्रार्थना। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

वर्ष 2020 में मेरी साहित्यिक उपलब्धियां

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 वर्ष 2020 में मेरी साहित्यिक उपलब्धियां  वैसे तो वर्ष 2020 श्रीमान कोविद नाइंटीन द्वारा अग्रिम रूप से आरक्षित कर लिया गया था, जिस कारण उन्हीं के चर्चे साल भर चले, कभी टोटल लॉकडाउन रहा तो अनलॉक में भी जितने आयोजन हुए वह उन्हीं को समर्पित रहे। फिर भी जनवरी फरवरी के माह में कुछ आयोजन अवश्य हुए, जिनमें उल्लेखनीय आयोजन डा• रीता सिंह की काव्य कृति वीरों का वंदन का चन्दौसी में लोकार्पण का कार्यक्रम था। उक्त कार्यक्रम में डा• रीता सिंह के विशेष अनुरोध पर हम भी गये थे। हमारे साथ ही दादा तिवारी जी, डा• अजय अनुपम जी, प्रखर जी, व डा• महेश दिवाकर जी भी गये थे। कार्यक्रम बहुत अच्छा हुआ। वह दीगर बात है कि हमें अपनी वीरता दिखाने का अवसर नहीं मिला, और हमारी लिखी हुई समीक्षा जेब में ही कसमसाती रह गयी। वर्ष की एकमात्र उपलब्धि दिनांक 1 मार्च 2020 को अखिल भारतीय साहित्य परिषद, मुरादाबाद द्वारा हमें सम्मानित करने की रही। महाराजा हरिश्चंद्र महाविद्यालय में आयोजित उक्त कार्यक्रम में हमारे साथ साथ आदरणीय फक्कड़ मुरादाबादी जी, श्री विवेक निर्मल जी व मोनिका मासूम जी को भी सम्मानित किया गया था। अबकी बार...

मक्खन मुरादाबादी जी, महाप्रयाण

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कल किसी सम्मान समारोह में जाना था। कार्यक्रम स्थल पर पहुंचने ही वाला था कि व्योम जी का फोन आया और दुखद समाचार मिला। आदरणीय दादा मक्खन मुरादाबादी जी नहीं रहे। तुरंत वहीं से सीधा मक्खन जी के अंतिम दर्शन करने पहुंचा। विगत दो वर्ष से अस्वस्थ चल रहे थे। काफी कमजोर भी हो गये थे। बीमारी ने उन्हें बिल्कुल कृशकाय कर दिया था। चेहरे पर अजीब शांति थी मानो सभी संघर्षों से मुक्त होने की शांति हो। मन अत्यंत विह्वल हो रहा था। अधिक देर नहीं रुक सका और व्यथित मन से घर वापस आ गया। कीर्त शेष मक्खन मुरादाबादी जी का जाना साहित्यिक जगत की अपूरणीय क्षति है। कीर्त शेष मक्खन मुरादाबादी जी से मेरा प्रथम परिचय वर्ष 1985 में रामपुर में हुआ था। बैंक में हमारे सहकर्मी, मुकेश गुप्ता के निवास पर काव्य गोष्ठी थी। उसमें मक्खन जी आये थे। उसी गोष्ठी में मेरे काव्य पाठ की उन्होंने काफी प्रशंसा की थी और आगे लिखते रहने को प्रोत्साहित भी किया था। तभी मक्खन जी ने रामपुर में भी सवेरा संस्था की इकाई बनाई थी जिसमें हम व मुकेश गुप्ता प्रमुख कार्यकर्ता थे। वर्ष 1986 में रामपुर में ही सवेरा संस्था का राष्ट्रीय कवि सम्मेलन व मुशायरा ...

महाराजाओं की गाड़ी।

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महाराजाओं की गाड़ी। पिछले सप्ताह हम सहजयोग सेमिनार में सम्मिलित होने के लिए छिंदवाड़ा जा रहे थे। छिंदवाड़ा हेतु गाड़ी दिल्ली सफदरजंग स्टेशन से पकड़नी थी। सुबह लगभग 10 बजे हम सफदरजंग स्टेशन पहुंचे। सफदरजंग स्टेशन का प्रवेश द्वार उस दिन बहुत सजा हुआ था। प्रवेश द्वार पर रंगीन कपड़ों की सजावट से भव्य द्वार बना था, नीचे रैड कार्पेट बिछा था, द्वार पर रेलवे की नीली यूनीफार्म में कुछ रेलवे अधिकारी पुष्प मालाएं लिए खड़े थे। हमें लगा कि कोई वीवीआईपी आज स्टेशन आ रहे होंगे। हमें भी स्टेशन के अंदर जाना था, हमने आगे जाकर एक अधिकारी से पूछा, क्या स्टेशन के अंदर जाने का कोई अन्य रास्ता है, वह तुरंत बोले आप भी आइए, अन्य कोई रास्ता नहीं है, हमने भी मुस्कुराते हुए कहा, वाह, अब तो हमें भी वी आई पी वाली फीलिंग आ रही है, इस पर सभी हॅंस पड़े। अंदर जाकर देखा तो पूरे प्लेटफार्म पर भी रैड कार्पेट बिछा था, ऊपर छत के नीचे रंगीन कपड़ों की सीलिंग लगाई हुई थी। प्लेटफार्म पर एक हेरिटेज ट्रेन, महाराजा एक्सप्रेस खड़ी हुई थी। तमाम टीटीई व एटेंडेंट्स अपनी साफ सुथरी‌ वर्दियों में मुस्तैदी से खड़े थे। महाराजा एक्सप्रेस के ...