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Showing posts from December, 2023

शाश्वत सत्य सनातन राम,

शाश्वत, सत्य, सनातन राम ---------------------------- शाश्वत, सत्य, सनातन राम —————————- शुभ मुहूर्त पावन सुख धाम, आयेंगे मंदिर में राम। सुंदर सदन सुमंगल धाम, प्राण प्रतिष्ठित होंगे राम। श्री राम जय राम जय जय राम। श्री राम जय राम जय जय राम। चतुर्दिशाओं की हलचल में, सरजू के जल की कल कल में, मंदिर मंदिर घाट घाट में, भक्तों के मन में प्रति पल में, गूँज रहा ये पावन नाम, श्री राम जय राम जय जय राम। —२ अवधपुरी की शोभा न्यारी, प्रमुदित हैं सारे नर नारी, पलक पाँवड़े बिछा कर रहे, स्वागत की अद्भुत तैयारी, जिनकी शोभा ललित ललाम, श्री राम जय राम जय जय राम। —2 घर घर में हिंदुत्व जगेगा, अनहद राम नाम गूॅंजेगा, अक्षत, रोली, चंदन के सॅंग, रामलला का रूप सजेगा, शाश्वत सत्य सनातन राम, श्री राम जय राम जय जय राम।—2 घर घर मंगल दीप जलेंगे, रंगोली से द्वार सजेंगे, भक्ति भाव से टेर लगाओ, राम ह्रदय में आन बसेंगे। श्वास श्वास बोले श्री राम। श्री राम जय राम जय जय राम। माया में अब मत उलझाना राम राज्य स्थापित करना असुर वृत्ति मन से मिट जाए, ऐसी कृपा सभी पर करना बसों ह्रदय में सबके राम श्री राम जय राम जय जय राम। मन मंदिर...

अँधेरा खुद ब खुद मिटने लगा है।

 अँधेरा खुद ब खुद मिटने लगा है। क्षितिज से सूर्य जो उगने लगा है। अँधेरा खुद ब खुद मिटने लगा है। सफर में साथ जो चलने लगा है। वो अपना सा मुझे लगने लगा है। किसी के प्यार के दो बोल सुनकर, ह्रदय में स्वप्न एक पलने लगा है। जरा सी शोहरत जो मिल गयी है जमाना हमसे अब जलने लगा है, अभावों में भी खुश रहना हमारा किसी को आज ये खलने लगा है। इन्हीं हाथों से जो सींचा था  हमने वृक्ष वह कृष्ण अब फलने लगा है। श्रीकृष्ण शुक्ल, T- 5 / 1103 , आकाश रेजीडेंसी, मधुबनी के पीछे, कांठ रोड, मुरादाबाद  ( उ.प्र .), भारतवर्ष। दिनांक 24.12.2023

मुरारी की चौपाल, आम आदमी की जिंदगी की विषमताओं को अभिव्यक्ति देती कविताओं का विलक्षण संग्रह। ।

मुरारी की चौपाल, आम आदमी की जिंदगी की विषमताओं को अभिव्यक्ति देती कविताओं का विलक्षण संग्रह। । अन्धेरी रातों और बेबुनियाद बातों के बीच, सिसक सिसक कर जी रही है, जिन्दगी हर इन्सान की, हर जीव की चिंता बस पेट भर रोटी की है,, ये पंक्तियां हैं संभल के निवासी लब्ध प्रतिष्ठित साहित्यकार श्री अतुल कुमार शर्मा के काव्य संग्रह 'मुरारी की चौपाल' में निहित कविता 'अंधेरे में तीर' की। ये पंक्तियां ही रचनाकार के अंतर्मन की संवेदनशीलता और उनके रचनाकर्म से परिचित कराने के लिये पर्याप्त हैं। उनका काव्य संग्रह 'मुरारी की चौपाल' मुझे पिछले माह ही प्राप्त हो गया था। यद्यपि काव्य संग्रह में सभी कविताएं अतुकांत शैली में हैं, फिर भी एक बार जब पढ़ना शुरु किया तो पूरा पढ़ने से स्वयं को रोक न पाया। सभी रचनाएं वर्तमान सामाजिक परिवेश में जीवन की विषमताओं, सामाजिक ताने बाने में मानवीय स्वभाव, आर्थिक असमानता के कारण उत्पन्न विषमताओं तथा हमारे व्यक्तिगत, सामाजिक और राजनीतिक सरोकारों से संबंधित परिस्थितियों को प्रतीकों के माध्यम से  अभिव्यक्ति देती हैं, जिसमें दर्द भी है, विवशता भी है,खीज और आक्रो...