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Showing posts from May, 2021

आओ आशा दीप जलाएं

  माना चहुँ दिशि अंधकार है। सासों पर निष्ठुर प्रहार है।। लेकिन देखो हार न जाना। आशा को तुम जीवित रखना।। आशा का इक दीप जलाकर, अंधकार से लड़ते रहना। केवल एक दीप जलने से, ठिठका रहता अंधकार है। रात भले हो घोर अँधेरी,  उसकी भी सीमा होती है। रवि के रथ की आहट से ही, निशा रोज ही मिट जाती है। आशा दीपों की उजास से, बस करना तम पर प्रहार है। रात अंततः ढल जाएगी। भोर अरुणिमा ले आएगी।। सूर्य रश्मियों के प्रकाश से, कलुष कालिमा मिट जाएगी।। तब तक आशा दीप जलाएं, आशा है तो दूर हार है। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।

पशु पक्षी आजाद मगर इन्सान बंद है।

कोरोना के चलते पूरा देश बंद है। घ र, दफ्तर, बाजार पूर्ण परिवेश बंद है।। रै ली, रेले, मेले, टेले, हाट, सिनेमा, आलू, टिक्की, चाट,बंद, संदेश बंद है। घर से बाहर आवाजाही पूर्ण बंद है दफ्तर और बजार बंद हैं, रेल बंद है। कुदरत ने भी देखो कैसा खेल रचाया। पशु पक्षी आजाद मगर इन्सान बंद है। मंदिर मस्जिद गुरुद्वारे अरु चर्च बंद हैं। ट्रीट, पार्टी और मॉल का खर्च बंद है। रबड़ी, कुल्फी, फालूदा के इस मौसम में, काढ़ा चालू है पर फ्रिज की बर्फ बंद है।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। प्रार्थना:   मानव के कष्टों का प्रभु जी अब तो अंत करो। त्राहि त्राहि हर ओर मची है अब तो बंद करो। करुणासागर हो अब करुणा का घट भी खोलो। मरघट की इन ज्वालाओं को अब, तो मंद करो। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।