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बाल कविता: मैं हूँ नंबर वन

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          बाल कविता ः           मैं हूँ नंबर वन           -----------------           नटखट छोटूराम मुहल्ले भर का प्यारा।           हर चाची ताई नानी का रहा दुलारा।।           खेल कूद में बच्चों का अगुआ रहता था।           घर घर जाकर खूब शरारत भी करता था।।           रक्षाबंधन पर सबसे राखी बँधवाई।           कुहनी तक राखी से दोनों सजी कलाई।।           मम्मी पापा ने सबको घर में बुलवाया।           बहनों को उपहार दिया, मीठा खिलवाया।।           पूरे दिन छोटू घर घर घूमा इतराया।           मैं हूँ नंबर वन कह कह कर शोर मचाया।।           श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।           17.08.2019...

राह अपनी खुद बनाना, जिन्दगी आसान होगी।

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           राह अपनी खुद बनाना, जिंदगी आसान होगी।            --------------------------------------            कर्म करना तुम निरंतर, हर खुशी परवान होगी            राह अपनी खुद बनाना, जिंदगी आसान होगी।            मार्ग के कंटक तुम्हारे, पाँव को घायल करेंगे            और पर्वत से खड़े अवरोध, मन दुर्बल करेंगे,            छुओगे जिस पल शिखर, उस पल तुम्हारी शान होगी            राह अपनी खुद बनाना, जिंदगी आसान होगी            एक से सब दिन न होंगे, एक सी नहिं रात होगी            उजाले यदि साथ देंगे, अँधेरों में घात होगी            तुम सतत् चलते रहे तो, जीत भी आसान होगी            राह अपनी खुद बनाना, जिंदगी आसान होगी।  ...

तीज मेला

तीज मेले ------------- मेले तो अब भी लगते हैं, लेकिन अब वो बात कहाँ है। इस पिज्जा बर्गर डोसे में, घेवर वाला स्वाद कहाँ है।। पहले घर की सब महिलाएँ, आपस में मिल कर सजती थीं। बारी बारी इक दूजे के, हाथों में मेंहदी रचती थीं।। तीजो वाले दिन घर घर में, झूले पटली आ जाते थे। जगह.जगह अमराई  में भी, बड़े बड़े झूले पड़ते थे ननद और भौजाई मिलकर, सावन के गाने गाती थीं। पींग बढ़ाकर बारी बारी,  सभी झूलती थीं गाती  थीं।। अब तीजो पर गायब झूले, गायब हैं सावन के गीत। हाउजी के नंबर में ही अब, सिमट गयी उत्सव की प्रीत।। हम विकास के पथ पर चलकर, परंपराएं भूल गये हैं। मिलते हैं पर उत्सव का, आनंद मनाना भूल गये हैं।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।