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बाबरी गिरने की कहानी

 1.अशोक सिंघल जी मंदिर में रामलला विराजमान करने के लिए पाँच लोग इकट्ठा हुए थे , महंत दिग्विजयनाथ , बाबा राघवदास ,  बाबा अभिराम दास, रामचन्द्र परमहंस और हनुमान प्रसाद पोद्दार। नानाजी देशमुख का नाम भी इसमे आता है पर उन्होंने न कभी इसे स्वीकार किया न खंडन किया।   महंत दिग्विजयनाथ सिसोदिया राजपूत थे , बप्पा रावल और महाराणा प्रताप के प्रत्यक्ष वंशज। उनके बचपन का नाम राणा नान्हू सिंह था। चाचा ने उनकी संपत्ति हड़पने के लिए मात्र सात वर्ष कि उम्र में नाथ योगी फूलनाथ को सौंप दिया था। और अफवाह फैला दिया कि उनका भतीजा मेले में खो गया है। किस्मत उन्हें गोरखनाथ  मंदिर ले आई। वहाँ उन्होंने एक ईसाई कॉलेज सेंट एंड्रूस से अपनी पढ़ाई की। अच्छा लॉन टेनिस खेलते थे और अंग्रेजी बोलते थे।  क्रांतिकारी साधु थे और चौरा-चौरी कांड में जेल भी गए थे।  बाबा राघवदास पुणे के चित्तपावन ब्राह्मण थे , काँग्रेस के हिंदुत्ववादी धडे के प्रमुख नेता थे। 1948 मे अयोध्या मे विधानसभा का उपचुनाव होने वाला था। सोशलिस्टों के तरफ से आचार्य नरेंद्रदेव उम्मीदवार थे। फैजाबाद के मुसलमानों में उनकी मजबूत ...