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Showing posts from September, 2024

वन नेशन वन इलैक्शन

 आज के आर्यावर्त केसरी में वन नेशन वन इलैक्शन पर  बहुत अच्छा और तथ्यपरक संपादकीय लिखा है आदरणीय वत्स जी ने। वैसे भी वन नेशन वन इलैक्शन भारत में नयी बात तो नहीं है। पहले तो विधानसभा और लोकसभा के चुनाव साथ साथ ही होते थे। जब तक सरकारें पूरे पॉंच वर्ष चलती रहीं, चुनाव भी साथ साथ होते रहे। वत्स जी ने सही लिखा है। बार बार आचार संहिता लगने से तमाम विकास कार्यों पर पाबंदियां लग जाती हैं। राजनेताओं की प्राथमिकता भी चुनाव हो जाती है और विकास पिछड़ जाता है। एक साथ चुनाव करवाने का एक लाभ यह भी है कि बार बार चुनावों पर होने वाले अनावश्यक खर्च से बचा जा सकता है। एक बार में ही चुनावी प्रक्रिया के बाद पॉंच वर्ष के लिये निश्चिंतता से विकास और जनहित के कार्यों पर सरकारें पूरा ध्यान केंद्रित रख सकती हैं।इसमें एक प्रश्न ये अवश्य उठ सकता है कि एक साथ चुनाव के बाद यदि लोकसभा या कोई विधानसभा मध्य अवधि में भंग होती है तब क्या होगा। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में बनी कमेटी ने इस संदर्भ में उचित सुझाव दिया है कि संबंधित विधानसभा या लोकसभा का मध्यावधि चुनाव यदि करवाना पड़े तो वह चुनाव ...

वेदों का काव्यात्मक अनुवाद : एक विलक्षण कार्य।

 वेदों का काव्यात्मक अनुवाद : एक विलक्षण कार्य। ----------------------------------------------------- यह तो सभी को ज्ञात है कि वेद ही सनातन संस्कृति का आधार है। वेदों की रचना स्वयं ब्रह्मदेव द्वारा की गई है।  वेदों की ऋचाओं के सस्वर उच्चारण से अभीष्ट परिणाम प्राप्त किये जा सकते हैं। लेकिन ये सभी वेद मंत्र संस्कृत में लिखे हुए हैं और जन सामान्य को इनका अर्थ समझ में नहीं आता, और जब अर्थ न पता हो तो किस मंत्र का क्या तात्पर्य है , कब किस मंत्र का उच्चारण उपयुक्त है, यह भी नहीं ज्ञान होता। इसी उद्देश्य को दृष्टिगत रखते हुए श्री वीरेन्द्र सिंह राजपूत जी द्वारा चारों वेदों के काव्यात्मक अनुवाद का बीड़ा उठाया गया। काम वास्तव में अत्यंत कठिन था और इसके लिये भगीरथ प्रयास की आवश्यकता थी, किंतु कहते हैं न कि लक्ष्य भले ही असंभव दिखता हो किंतु बिना थके बिना रुके निरंतर कर्म करते रहने से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है। यही बात श्री राजपूत पर भी लागू होती है। अपने अनथक श्रम से उन्होंने तीन वेदों का काव्यात्मक अनुवाद पूर्ण कर लिया है और उन तीनों वेदों के अनुवाद का प्रकाशन भी हो चुका है।...

मॉं जय जयकार तुम्हारी

मॉं निर्मल सबसे न्यारी, मॉं जग की पालनहारी, -2 मॉं आदिशक्ति अवतारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। तुम जगजननी कल्याणी, मॉं तुम ही वीणापाणी,   ----2 तुम करतीं सिंह सवारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मैं  आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। सुख संपति साधन सारे, भरतीं सबके भंडारे-----2 मॉं तुम ही अजर बिहारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मैं  आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मॉं अजर, अमर, अविनाशी, मॉं अगणित पूर्णमासी,----2 मॉं सब देवों से न्यारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी। मैं  आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मॉं गणपति के संग आना, अनुपम चैतन्य बहाना --2 हैं विनती यही हमारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। पीतल नगरी आभारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। निर्मल मॉं सबसे न्यारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मॉं जय जयकार तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। तुम आदिशक्ति अवतारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। मैं आया शरण तुम्हारी, मॉं जय जयकार तुम्हारी।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।।