भक्ति रस की हाला का पान कराने वाली कृति मधुशाला हाला प्याला।
भक्ति रस की हाला का पान कराने वाली कृति मधुशाला हाला प्याला। ---------------------------------------------------------------------------- मधुशाला हाला प्याला, इस काव्य संग्रह का नाम पढ़ते ही आदरणीय हरिवंश राय बच्चन जी की कृति मधुशाला की याद आ गयी और यही लगा कि बच्चन जी की मधुशाला की तरह ही इसमें भी मधुशाला के विभिन्न आयामों का चित्रण होगा। इसी उत्सुकतावश पुस्तक खोलकर पढ़ना शुरु कर दिया। किन्तु शुरुआत में ही स्पष्ट हो गया कि यह तो आध्यात्मिक रस की हाला है और इससे अपना प्याला भरना जीवन के गूढ़ रहस्यों को समझने में सहायक हो सकता है। आदरणीय जितेंद्र कमल आनंद जी का सद्य प्रकाशित काव्य संग्रह मधुशाला हाला प्याला उन्हीं के शब्दों में एक अनुपम कृति है, जो आध्यात्मिक संचेतना और नैतिकता के भाव जगाने में सक्षम है। संपूर्ण काव्य ताटंक , लावणी व शोकहर छंद में रचित है, ओर गेयता में आनंद का अनुभव कराने में सक्षम है। भाषा सरल, प्रतीकात्मक और सुग्राह्य है। काव्य संग्रह में निहित आध्यात्मिक काव्यात्मक कथ्य और संग्रह के नाम के संदर्भ में श्री आनंद जी स्वयं कहते हैं: काव्यात्मक ...