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रंग प्रेम के सबमें बांटो, यारो अबकी होली में।

 रंग प्रेम के सबमें बांटो, यारो अबकी होली में। हँस लो गा लो, धूम मचा लो, मस्ती और ठिठोली में। बैर भाव को भूल भाल कर, सबको गले लगाना है। आपस के सब झगड़े टंटे, आज जला दो होली में। घर में घुसकर बैठे बैठे, सब आनंद गँवाओगे। होली का उल्लास छिपा है, हुरियारों की टोली में। करो शरारत जमकर लेकिन, इतना फिर भी ध्यान रहे। जूते चप्पल ना चल जाएं, मस्ती भरी ठिठोली में। चाट पकौड़ी खा लो या फिर गुझिया शक्करपारे हों। होली का आनंद छिपा है, एक भांग की गोली में। साली सलहज से तुम जमकर रंग खेलना पर सुन लो। इतना ध्यान सदा ही रखना, रंग न जाये चोली में। भौजाई के संग शरारत सपने में भी मत करना। कान पकड़कर उट्ठक बैठक करवा देगी होली में। घरवाली के संग चलो तो ताकाझांकी मत करना। वरना घर में राड़ छिड़ेगी, आग लगेगी होली में। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। 12.03.2023

और जूते चुर गये

और जूते चुर गये  ये वर्ष 95 की बात है, दिसंबर का महीना था, ठंड भी खूब थी, दिल्ली में निजामुद्दीन स्थित स्काउट मैदान में सहजयोग का एक बड़ा आयोजन था, जिसमें हमारा जाना हुआ I उस बार संयोग से मैं अकेला ही वहाँ गया था, मुरादाबाद से एक दो अन्य भाई भी गये थे लेकिन हमें पहले से पता नहीं चल सका था İ जूता चप्पल चोर ऐसे आयोजनों में सूंघ सांघकर पहुँच ही जाते हैं, और संभवत: उन्हें मेरे जूते और चप्पलें अधिक पसंद आते होंगे, या उनके पाँव में मेरी ही चप्पल फिट आती होगी जिस कारण मेरी चप्पल अधिकतर चुर जाती थी I उस दिन ठंड के कारण मैं जूते पहनकर गया था, जूते लगभग नये ही थे, मैंने जूता चोरी से बचने के लिये एक तोड़ निकाला था जिसके अनुसार एक जूता पंडाल के एक खंबे के पास उतारा और दूसरा थोड़ी दूर पर दूसरे खंबे के पास उतारा, ताकि एक साथ रखे होने पर चुर न जायें I ये राय भी हमें जूता चोरी से प्रताड़ित एक विशेषज्ञ ने ही दी थी I अंदर पंडाल में बहुत भीड़ थी जिस कारण बाहर भी जूते चप्पलों की बहुतायत थी İ कार्यक्रम रात्रि लगभग 11 बजे तक चला, कार्यक्रम के बाद जब बाहर आये तो हमारे जूते नदारद थे I निश्चित ही जूताचोर ह...