वक्त की अब नजाकत भी पहचान ले।।
वक्त की अब नजाकत भी पहचान ले।। --------------------------------------- वक्त की अब नजाकत भी पहचान ले।। वक्त क्या कह रहा है जरा जान ले। मौत का कुछ हवा से मसौदा हुआ। बेवज़ह मौत से रार मत ठान ले।। कुछ दिनों घर के भीतर ही रह बंद तू। बंद सपनों की गठरी में अरमान ले।। मिलने जुलने के मौके मिलेंगे बहुत। कुछ दिनों घर की खटिया पे ही तान ले। क्या मिलेगा किसी कुंभ के स्नान में। बस कठौती में गंगा है ये मान ले।। मृत्यु से आज थोड़ा तो भयभीत हो। ये अचानक ही आयेगी फरमान ले।। रिश्ते नाते न होंगे न दौलत तेरी । काम कोई न आयेगा ये मान ले।। चार कंधे भी होंगे मयस्सर नहीं। साथ कोई न होगा तू ये जान ले।। तेरी कीमत यहाँ मात्र इक वोट है। कृष्ण औकात अपनी तू पहचान ले । श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।