सैनिक के जीवन पर तीन मुक्तक दिवाली पर न आऊँगा, उमंगों को सुला देना। छुट्टी मिल नहीं पायी, अकेले घर सजा लेना। यहां सरहद पे हम मिलकर, पटाखे खूब फोड़ेंगे। हमारे नाम के दीपक, वहाँ तुम ही जला देना। सफर अब पूर्ण होता है, मुझे हँसकर विदा करना। जो मेरी याद आये तो, कहीं छुपकर के रो लेना। अकेलेपन का जीवन में, तुम्हें अहसास हो जब भी। गुजारे साथ जो लम्हे, उन्हीं को याद कर लेना।। आँसू पोंछ लो माँ अब, नहीं तुमको रुलाऊँगा। बड़ा होकर वतन के वास्ते, सेना में जाऊँगा। मैं दुश्मन को उसी के घर में घुसकर के मिटा दूँगा। अधूरा काम पापा का, मैं पूरा कर के आऊँगा।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद।
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नागरिकता संशोधन पर कुंडलिया
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नागरिकता संशोधन बिल पास होने पर त्वरित कुंडलिया। सी ए बी बिल भी हुआ, राज्यसभा में पास। सिब्बल, राहुल, दिग्विजय सारे भये उदास।। सारे भये उदास, घड़ी संकट की आयी। जाने कितने और नियम बदलेंगे भाई।। रहा अगर ये हाल, बनेगी हालत कैसी। कांग्रेस की 'कृष्ण', हुई ऐसी की तैसी।। श्रीकृष्ण शुक्ल, मुरादाबाद। 12.12.2019