चुनावी चुटकी
आबोहवा चुनावी मौसम की भी अजब निराली है, कुछ चेहरों पर मायूसी है तो कुछ पर खुशहाली है। झूठे वादे और झुनझुने, चाहे जितने दिखला दो, मोदी की गारंटी सबसे भारी पड़ने वाली है। जनता आज बड़ी शातिर है, खबर सभी की रखती है। झूठे नारों वादों में ये नही उलझने वाली है। पाले बदले दर दर भटके, टिकट नहीं मिल पाया है, नेताओं की रंग बदलती शक्ल देखने वाली है। पी एम बनने का सपना कैसे कैसों ने पाला है। बात सुनो तो लगता है, ऊपर का माला खाली है। रायबरेली और अमेठी इंतजार में बैठे हैं, गॉंधी गीरी इस चुनाव में शायद जाने वाली है। क्या जाने कब ई डी आकर इनके दर को खटका दे, पता नहीं कब पॉंव तले की भूमि खिसकने वाली है। फ्रीज पड़े हैं खाते अपने ये कैसी बदहाली है, कैसे लड़ें चुनाव बताओ, जेब हमारी खाली है। गठबंधन के गुब्बारे को फुला फुला कर दिखा रहे, किंतु सभी को आशंका है हवा निकलने वाली है। ई डी, सी बी आई, ने भी, कुछ कुचक्र रच डाला है, दिल्ली की सरकार जेल से, ही अब चलने वाली है। मौसम वैज्ञानिक भी देखो पलटी मारे फिरते हैं। इन्हें पता है किधर वोट की बारिश होने वाली है। चार जून तक रुक जाओ, ई वी एम सब बतला देगी, किसकी न...