सात जन्म के साथ का वरदान
शादी की पचासवीं सालगिरह पर पति पत्नी ने घर में पूजा रखी, जैसे जैसे पंडित जी बोलते गये वैसे वैसे दान दक्षिणा रखी, उनकी श्रद्धा देख भगवान भी प्रसन्न हो गये, तुरंत आकाशवाणी हुई और वर माँगने का मौका दिया, पति ने तुरंत सात जन्मों तक एक दूसरे का साथ माँग लिया, भगवान् ने कहा एवमस्तु , अगले सात जन्मों तक तुम्हें एक दूजे का साथ दिया यह सुनते ही पत्नी बोली भगवन ये क्या कर दिया, ये वरदान है या सजा, न कोई चेंज न मजा पूजा तो हम दोनों ने की थी, तो वरदान इनको ही क्यों दिया, पूजा की सारी तैयारी तो मैंने की, वेदी मैंने सजाई, प्रसाद मैंने बनाया, पूजा की सारी सामग्री मैं लाई, यहाँ तक कि पंडित जी की दक्षिणा भी मैंने दी, इन्होंने क्या किया सिर्फ हाथ जोड़े, मस्तक नवाया, आरती घुमायी, ये सब तो मैंने भी साथ में किया, फिर वरदान अकेले इनको क्यों दिया, अब मुझे भी वर दीजिए सात जन्म वाली स्कीम को वापस ले लीजिए, भगवान भी हतप्रभ हो गये, सोचने लगे, मेरी ही बनायी नारी, मुझ पर ही पड़ गयी भारी, बोले: एक बार वरदान दे दिया सो दे दिया, दिया हुआ वरदान कभी वापस नहीं होता, इतना जा...